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मशरूम के बेहतर उत्पादन के लिए रॉल मॉडल बने विकास

मेहसी मंहगी खेती और कम उपज से परेशान किसानों के लिए मेहसी के दामोदरपुर निवासी युवा किसान विकास कुमार मिश्रा कठिन परिश्रम की बदौलत रॉल मॉडल बने हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 12:21 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 12:21 AM (IST)
मशरूम के बेहतर उत्पादन के लिए रॉल मॉडल बने विकास
मशरूम के बेहतर उत्पादन के लिए रॉल मॉडल बने विकास

मोतिहारी। मेहसी मंहगी खेती और कम उपज से परेशान किसानों के लिए मेहसी के दामोदरपुर निवासी युवा किसान विकास कुमार मिश्रा कठिन परिश्रम की बदौलत रॉल मॉडल बने हैं। परंपरागत खेती से अलग होकर खुद के मेहनत के बूते मशरूम की खेती कर स्वरोजगार की नई परिभाषा लिख रहे हैं। पूर्वी चंपारण के मेहसी में बटन, ऑयस्टर, मिल्की मशरूम जैसे विभिन्न प्रकार की चीजों को उपजा कर किसानों के लिए ये प्रेरणा के स्त्रोत बन चुके हैं। करीब बारह सौ वर्ग फीट में मशरूम की खेती से 15 हजार रुपये तक प्रतिमाह अर्जित करने वाले इस किसान को राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा ने इस क्षेत्र का रॉल मॉडल बनाया है। विश्वविद्यालय के प्रधान मशरूम वैज्ञानिक डॉ. दयाराम अन्य किसानों को प्रेरित करने के लिए श्री मिश्रा के मशरूम बाग में कृषक पाठशाला का आयोजन कर प्रखंड के पांच गांवों के करीब 150 महिला पुरुषों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। इनके उत्पाद को मोतिहारी में आयोजित किसान महाकुंभ में भी सराहना मिल चुकी है। कैसे मिली प्रेरणा

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विकास बताते हैं कि 04 फरवरी 2017 उनके जीवन मे नई ज्योति लेकर आया। इससे पहले उनकी माली हालत काफी कमजोर थी। इस बीच मधुबन थाना क्षेत्र के वाजितपुर निवासी रंजन कुमार झा से उनकी पहली मुलाकात हुई। वे बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। उनके मार्गदर्शन में पूसा स्थित डॉ राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लेने के बाद वे मशरूम की खेती के तरफ अग्रसर हुए। उनके लगन व कठिन परिश्रम के बदौलत सार्थक परिणाम उनके सामने है। कम लागत व मुनाफा ज्यादा देख उन्होंने बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती शुरू की है। नहीं है बाजार की समस्या

विकास बताते हैं कि शुरू में उत्पाद बेचने को लेकर थोड़ी समस्या उत्पन्न हुई थी। तैयार माल को खपाना मुश्किल था। इस बीच कई बार मायूस हुए। लेकिन, आज मशरूम की मांग इतनी है कि घर से ही हाथों हाथ बिक जा रहा है। मशरूम की मांग को देखते हुए उन्होंने इसका बृहत पैमाने पर उत्पादन आरंभ कर दिया है। आने वाले समय मे इसके कई प्रमुख प्रकारों का उत्पादन करने की योजना है। मिल्की मशरूम का उत्पादन शुरू हो चुका है। मशरूम में पाए जाने वाले पोषक तत्व

मशरूम वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने बताया मशरुम में शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, लवण आदि पोषक तत्वों से भरा होता है। इनमें विटामिन-बी की मात्रा अन्य खाद्य पदार्थों से बहुत अधिक होती है। सूखा रोग दूर भगाने वाला विटामिन-डी भी इसमें पाया जाता है। अन्य प्रचलित खाद्य पदार्थों से कहीं अधिक कैलोरी इनकी गुच्छियों से प्राप्त होती है। मशरुम में सदाबहार यौवन को बनाये रखने के अनेक गुण विद्यमान होते हैं। इसके नियमित सेवन से असमय वृद्धावस्था का प्रकोप नहीं सताता। इसके नियमित प्रयोग करते रहने से मोटापे में कमी आती है तथा सुंदरता की वृद्धि होती है। बलवृद्धि के साथ-साथ बुद्धि में भी वृद्धि होती है। मशरुम के सेवन से सबसे अधिक लाभ मन्दबुद्धि वालों के लिए होता है। मन्दबुद्धि वाले छोटे बच्चों को अगर मशरुम का नियमित सेवन कराया जाये तो उनका मानसिक विकास निश्चित रूप से होता है। ग्रामीणों में खेती को लेकर है उत्साह

दामोदरपुर गांव स्थित मशरूम का यह पौधशाला ग्रामीणों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र भी है। मेहसी के लिए विकास पहले सफल किसान है जिन्होंने मशरूम की खेती की है।कौशल सिंह, कांति मिश्रा, गजेंद्र मिश्रा, राकेस मिश्रा आदि ग्रामीणों का कहना है कि यहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर कई लोगो ने अपने प्रगति की राह को मजबूत करने के लिए प्रयास आरंभ कर दिया है। विकास की सोच है कि इस रोजगार से गांव के प्रत्येक परिवारों को जोड़ दिया जाए। ताकि वे अपने जीविकोपार्जन का साधन इकट्ठा कर सके।


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