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मानकों को दरकिनार कर संचालित हो रहे जांच घर

इलाज की प्रक्रिया में पैथोलॉजी एवं रेडियोलॉजी जांच का अहम स्थान है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 12:35 AM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 12:35 AM (IST)
मानकों को दरकिनार कर संचालित हो रहे जांच घर
मानकों को दरकिनार कर संचालित हो रहे जांच घर

मोतिहारी । इलाज की प्रक्रिया में पैथोलॉजी एवं रेडियोलॉजी जांच का अहम स्थान है। जांच परिणाम के आधार पर इलाज की दिशा तय होती है। इस कार्य को संपादित करने के कुछ मापदंड भी हैं। उन मापदंडों का अनुपालन भी जरूरी है। मगर आमतौर पर ऐसा कम ही होता है। ज्यादातर जांच घर उन मापदंडों पर खरा नहीं उतरते। बावजूद इसके जांच कार्य को घड़ल्ले से अंजाम दिया जा रहा है। दिशा-निर्देशों के अनुपालन संबंधी विभागीय आदेशों को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है। जिले में सैकड़ों जांच घर संचालित हो रहे हैं।

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45 जांच घर हैं निबंधित

जहां तक पैथोलॉजी एवं रेडियालॉजी जांच घरों की बात है तो इनकी संख्या पूर्वी चंपारण में सैकड़ों में है। मगर इनमें से मात्र 45 जांच घर ही स्वास्थ्य विभाग से निबंधित हैं। हालांकि निबंधन के लिए समय-समय पर विभाग द्वारा फरमान भी जारी किए जाते हैं, मगर उनका कोई खास असर नहीं होता। वहीं, सरकार के क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट बिल पर भी इन्हें आपत्ति है। संबंधित गतिरोध अब तक दूर नहीं हो सका है।

140 जांच घरों ने दिए

चेकलिस्ट प्रतिवेदन

किसी भी जांच घर को संचालित करने के लिए विभाग ने कुछ मापदंड भी तय किए हैं। उनका अनुपालन भी आवश्यक है। इसके लिए विभाग ने सभी जांच घरों के लिए चेकलिस्ट जारी कर संबंधित प्रतिवेदन की मांग की थी। मगर जिले के मात्र 140 जांच घरों ने ही प्रतिवेदन देना जरूरी समझा। इस कार्य को अंजाम देने की जवाबदेही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दी गई थी। वह अभियान भी अंजाम तक नहीं पहुंच सका। जिन्होंने प्रतिवेदन देना जरूरी नहीं समझा, उनके विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि विगत मार्च महीने में प्रतिवेदन नहीं देने वाले कुल 20 जांच घरों से जवाब तलब किया गया था।

कलेक्शन सेंटर पर भी होती है जांच

जांच घर संचालन के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। इनमें निबंधित जांच घर के कलेक्शन सेंटर के नाम पर भी इनका संचालन होता है। इनमें से कुछ सेंटरों पर जांच का भी काम किया जाता है। ऐसे भी जांच घर हैं, जिनके पास आवश्यक संसाधन एवं उपकरण नहीं हैं, फिर भी बेहतर जांच का दावा करते हैं। इनकी जांच रिपोर्ट भी कितना भरोसा किया जाए, समझ से परे है। स्पष्ट है कि गलत जांच से किसी मरीज की जान भी खतरे में पड़ सकती है। बावजूद इसके यह कारोबार जारी है।


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