लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए मनाएं रमजान
मुसलमानों का पाक रमजान महीना शुरू हो चुका है। यह संयोग है कि जिस समय रमजान का यह पर्व आया है उस समय भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है। इसलिए कई मौलवी व उलेमाओं ने अपने समुदाय के लोगों से घर में रहकर अल्लाह की इबादत करने की अपील की है और कहा है कि घर से की गई इबादत भी अल्लाह कबूल करते हैं।
मोतिहारी । मुसलमानों का पाक रमजान महीना शुरू हो चुका है। यह संयोग है कि जिस समय रमजान का यह पर्व आया है उस समय भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है। इसलिए कई मौलवी व उलेमाओं ने अपने समुदाय के लोगों से घर में रहकर अल्लाह की इबादत करने की अपील की है और कहा है कि घर से की गई इबादत भी अल्लाह कबूल करते हैं। इसके लिए फिलहाल मस्जिदों में जाने की जरूरत नहीं है। ढाका जामा मस्जिद के इमाम मौलाना नजरूल मोबीन ने कहा कि सरकार द्वारा जारी लॉक डाउन नियमों का पालन करते हुए अपने घरों से अल्लाह का इबादत करे तो बेहतर होगा। यह महीना इबादत का होता है. लोग इस महीने में पूरे दिन का रोजा रखते हैं और रात में तरावीह कुरान पाक पढ़ते हैं और सुनते हैं। मस्जिदों में भीड़ लगाने से प्रधानमंत्री के फिजिकल डिस्टेंश के पालन करने की अपील का उल्लंघन होने के साथ ही कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। इससे हम देश की भी हिफाजत कर सकते हैं। अपनी दुआओं में पूरे मुल्क की सलामती और इस कठिन दौर से मुक्ति को भी शामिल करें। ढाका प्रखंड के बरेवा मस्जिद के सचिव मो. अबुलैश ने कहा कि रमजान का महीना बरकत का है। इसलिए इस महीने में इबादत के साथ अपने आसपास के गरीब लोगों की खिदमत करना बहुत जरूरी है। मौजूदा समय में कारोना संक्रमण का खतरा तेज हो चला है। इस कारण देश में लॉकडाउन लागू किया गया है। कारोना संक्रमण से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप घरों में रहे, सुरक्षित रहे। मस्जिदों में भीड़ बढ़ाने की जरूरत नहीं है। फिजिकल डिस्टेंश का पालन कर अल्लाह का इबादत करें। लॉक डाउन का अनुपालन कर प्रशासन को सकारात्मक सहयोग प्रदान करे।
आठ साल की उम्र का जीशान रखता रोजा मोतिहारी : शहर के गाजा चौक मेन रोड मोतिहारी निवासी आठ वर्षीय जीशान उर रहमान भी रोजा रख रहा है। उसे यह प्रेरणा अपने पिता भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री अब्दुल रहमान से मिली। उसके परिवार में अधिकांश लोग पांचों वक्त के नमाजी हैं। दादा जी हज कर चुके हैं। जीशान का कहना है कि रोजा रखने में शुरू के कुछ दिनों जरुर परेशानी होती है, मगर धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाता है। रोजा में भूख प्यास अल्लाह की मेहरबानी से उनकी इबादत में खत्म हो जाती है। बस सिर्फ अल्लाह ही नजर आते हैं। जीशान ने कहा कि उनका धर्म समाज व देश की भलाई का संदेश देता है। मदर-ए-वतन ही सबकुछ है। यह सबको समझना चाहिए। कोरोना संक्रमण के इस दौर में सरकार के एक-एक निर्देश पालन करना हमारा धर्म है।