बेटी के ब्याह की खातिर फसल कटने का इंतजार
आजाद भारत में आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पगडंडी ही आम आदमी के लिए सफर का साधन है। ऐसा ही एक गांव है पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्रखंड का उनवा।
मोतिहारी। आजाद भारत में आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पगडंडी ही आम आदमी के लिए सफर का साधन है। ऐसा ही एक गांव है पूर्वी चंपारण जिले के सुगौली प्रखंड का उनवा। इस गांव का दर्द जानिए। आजादी के 72 वें साल में यह गांव सड़क व बिजली की सुविधाओं से वंचित है। गांव के लोग आज भी लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं। करमवा रघुनाथपुर पंचायत के वार्ड नंबर 14 स्थित इस गांव की आबादी करीब 1300 सौ है। यहां के 350 लोग चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग भी करते हैं। लेकिन, रोशनी के लिए दीप, मोमबत्ती या लालटेन जलाते हैं। हद तो यह कि यहां बेटी का ब्याह तय करने से पहले लोग इस बात का इंतजार करते हैं कि जिस घर में शादी है, वहां तक जाने के लिए वैकल्पिक सड़क हो जाए। खेत से फसल कट जाए। बताते हैं कि रघुनाथपुर बाजार से बक्सा गांव तक सड़क है। यहां से एक किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए पगडंडी ही सहारा है। सड़क नहीं होने के कारण वाहनों का परिचालन नहीं हो पाता है। नतीजतन शादी का दिन तय करने से पहले फसल कटने का वक्त देखा जाता है। ऐसा इस कारण से होता है कि खेत खाली रहने की स्थिति में वाहन आसानी से गांव में पहुंच जाता है। बरसात में तो नाव ही एकमात्र आवागमन का साधन होता है। सड़क व बिजली के अभाव में बच्चों के भेजते हैं बाहर सड़क व बिजली की समस्या से परेशान गांव के लोगों को सबसे ज्यादा असुविधा बच्चों को पढ़ाने में हो रही है। स्कूल आने-जाने में होने वाली परेशानी के कारण ग्रामीण अपने बच्चों को गांव से बाहर शहर में रखकर पढ़ाते हैं। ग्रामीणों के शब्दों में- 'बच्चों को शिक्षित बनाना है। कड़ा परिश्रम करते हैं और बच्चों को बाहर पढ़ाने के लिए खर्च उठाते हैं। ताकि, उनका बच्चा पढ़ लिखकर शिक्षित हो सके।' बोले लोग : चार महीने झेलते हैं बरसात, बाकी दिनों में पगडंडी ग्रामीण सह पैक्स अध्यक्ष प्रमोद यादव, प्रेम यादव, ढोढ़ा महतो, चंद्रिका यादव, उमाकांत महतो, रमेश साह, सतेंद्र यादव, ललन यादव, मुन्ना कुमार आदि बताते हैं कि गांव में बिजली देखने के लिए आंखें तरस रही हैं। आजादी के बाद से कई नेता बने। हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं गया। गांव में सड़क नहीं। सड़क के अभाव में शादी करने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों में करीब चार माह तक नाव से आना जाना पड़ता है। गांव वाले बड़ी उम्मीद के साथ हर बार वोट करते हैं। लेकिन, चुनाव बीतते ही हमारी सुधि कोई नहीं लेता। मुखिया ने कहा- चयनित हो चुकी है योजना पंचायत के मुखिया संपत साह बताते है कि सड़क बनाने के लिए योजना का चयन कर लिया गया है। इस गांव में जाने के लिए पुल का निर्माण बक्सा गांव के पास हो रहा है। इसके बाद सड़क को बना दिया जाएगा। सड़क नहीं रहने के चलते खेत खाली होने पर शादी की तय करने की समस्या का अंत समय रहते हो जाएगा।