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बिहार का एक अंतरराष्ट्रीय पुल, जिसका नहीं कोई 'दावेदार', जानिए मामला

बिहार के रक्‍सौल में नेपाल सीमा पर एक अंतरराष्‍ट्रीय पुल है। इसका निर्माण केंद्र सरकार ने कराया। लेकिन, आज इसका कोई दावेदार नहीं है। ऐसे में पुल जर्जर हो गया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 09:52 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 10:51 PM (IST)
बिहार का एक अंतरराष्ट्रीय पुल, जिसका नहीं कोई 'दावेदार', जानिए मामला
बिहार का एक अंतरराष्ट्रीय पुल, जिसका नहीं कोई 'दावेदार', जानिए मामला

पूर्वी चंपारण [जेएनएन]। भारत से नेपाल जाने के लिए सबसे सुगम सड़क मार्ग पूर्वी चंपारण के रक्सौल से होकर है। लेकिन, मित्र देश के सफर में सहाय‍क 'मैत्री पुल' और इसके पहुंच पथ की हालत इतनी खराब है कि कब हादसा हो जाए कहना मुश्किल है। दरअसल भारत-नेपाल सीमा पर स्थित इस 'मैत्री पुल' के बारे में किसी भी विभाग को जानकारी ही नहीं है कि यह किसके अधीन है। नतीजा पिछले दो साल से जर्जर पुल के निर्माण के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

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1994 में भारत ने कराया था पुल का निर्माण
नेपाल से निकली सरिसवा नदी पर बने इस पुल पर जो शिलापट लगा है, उसके अनुसार इसका निर्माण 1994 में भारत सरकार ने कराया था। 60 मीटर लंबे और 7.5 मीटर चौड़े पुल के निर्माण में लोगों की हर सुविधा का ध्यान रखा गया। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर होने के कारण पुल के दोनों किनारों पर पैदल जाने के लिए फुटपाथ का निर्माण भी कराया गया। लेकिन, इसका रख-रखाव नहीं हो सका। हालत यह है कि आज इसपर दो-दो फीट के गड्ढे बन गए हैं। पुल को जोडऩे वाली करीब चार सौ मीटर सड़क का भी यही हाल है।

लगातार शिकायत के बाद पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी (डीएम) ने रक्सौल के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम) से रिपोर्ट मंगाई तो कहा गया कि सड़क निर्माण कराने वाली कोई भी सरकारी एजेंसी पुल के अपने अधीन होने का दावा नहीं कर रही है। फिर मरम्मत कौन कराएगा?

डीएम ने प्रधान सचिव को लिखा पत्र
यह हकीकत प्रशासनिक जांच में भी सामने आई कि इस दिशा में कोई सरकारी एजेंसियों पहल नहीं कर रही है। अंत में डीएम ने बीते चार सितंबर को पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख इसकी जानकारी दी।
डीएम पूर्वी चंपारण रमण कुमार कहते हैं कि समस्या गंभीर है। सूत्र बताते हैं कि डीएम ने अपने पत्र में रक्सौल के बाटा चौक स्थित रेलवे क्रॉसिंग से भारत-नेपाल सीमा के बीच स्थित मैत्री पुल व इससे जुड़ी सड़क के जर्जर होने का जिक्र किया है। डीएम ने प्रधान सचिव से अनुरोध है कि वे स्वयं अपने स्‍तर से संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करें।

सांसद ने समस्‍या को माना गंभीर
इस समस्या की बाबत पश्चिमी चंपारण के सांसद डॉ. संजय जायसवाल कहते हैं कि वे इस समस्या को लेकर लगातार लड़ते रहे हैं। इस बारे में गृह मंत्री के अधीन संस्था बॉर्डर एरिया मैनेजमेंट के अधिकारियों से बात की है। गृह मंत्रालय की इकाई बॉर्डर एरिया मैनेजमेंट के विशेष सचिव बीएस शर्मा को पूरी जानकारी दी है। संभावना है कि एक सप्ताह के अंदर विभागीय अधिकारी इस सड़क और पुल का निरीक्षण करेंगे।

भिक्षाटन कर आम लोग कराएंगे मरम्मत
सीमा जागरण मंच के प्रांतीय समन्वयक महेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि पुल व सड़क की खातिर स्थानीय अधिकारियों से लेकर मंत्री तक से बात कर चुके हैं। लेकिन, नतीजा नहीं निकला। ऐसे में वे गुरुवार से स्थानीय लोगों के साथ मैत्री पुल पर भिक्षाटन के लिए बैठेंगे। इससे आए पैसों से पुल की मरम्मत कराएंगे।


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