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आखिर बाढ़ से निजात दिलाने को राजनीतिक दल कब होंगे गंभीर

मोतिहारी। हर साल की भांति इस साल भी उत्तर बिहार का अधिकांश हिस्सा बाढ़ के कारण बेह

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 12:37 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 12:37 AM (IST)
आखिर बाढ़ से निजात दिलाने को राजनीतिक दल कब होंगे गंभीर
आखिर बाढ़ से निजात दिलाने को राजनीतिक दल कब होंगे गंभीर

मोतिहारी। हर साल की भांति इस साल भी उत्तर बिहार का अधिकांश हिस्सा बाढ़ के कारण बेहाल रहा। सालों से चली आ रही इस समस्या पर सरकार के तमाम दावों के बावजूद हालात जस के तस हैं। पिछले 40 सालों से बिहार लगातार हर साल बाढ़ से जूझ रहा है। बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के मुताबिक राज्य का 68,800 वर्ग किमी हर साल बाढ़ में डूब जाता है। इस वर्ष भी पूर्वी चंपारण के अरेराज, संग्रामपुर, बंजरिया सहित कई हिस्से महीनों जलमग्न रहे। बाढ़ की विभीषिका के कारण लोगो को महीनों घर बार छोड़कर अन्यत्र शरण लेना पड़ा। बावजूद इसके इस समस्या के प्रति कमोवेश अधिकांश दलों के पास कोई स्थायी निदान नहीं है। इसी विषय दैनिक जागरण के तत्वावधान में आयोजित चुनावी चौपाल में प्रबुद्ध लोगो ने अपनी बेबाक राय रखी।

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भोला गुप्ता : बाढ़ को प्राकृतिक आपदा मानना ही गलत है। यह पूर्णत: मानव निर्मित आपदा है। सही इच्छाशक्ति व ईमानदारी से योजना बनाकर उसपर अमल किया जाए तो इस आपदा से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है। बाढ़ आने पर तो लोगो को परेशानी होती ही है। लेकिन पानी उतरने के बाद भी लोगों की परेशानी खत्म नहीं होती।

दीपक अग्रवाल : एनडीए सरकार में बिजली व सड़क पर उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। लेकिन हर साल आने वाले बाढ़ से लोगों को निजात नही मिल सकी है। अमूमन प्रतिवर्ष उत्तर बिहार का अधिकांश हिस्सा बाढ़ से जलमग्न हो जाता है। 1954 में बिहार में 160 किमी तटबंध था। तब 25 लाख हेक्टेयर जमीन बाढ़ प्रभावित थी। अभी करीब 3700 किमी तटबंध हैं लेकिन बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र बढ़कर 68.90 लाख हेक्टेयर हो गया। जिस तरीके से बाढ़ में इजाफा हो रहा है, उस हिसाब से तटबंधों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।

प्रकाश कुमार चौधरी : बाढ़ रूपी विपदा मानो अब हमारी नियति बन गई है। हर साल बाद से जन जीवन के साथ ही फसल की क्षति होती है। बंजरिया प्रखंड का अधिकांश हिस्सा महीनों जलमग्न रहता है। इस बार भी यहां बाढ़ का रौद्र रूप देखने को मिला। हालांकि एनडीआरएफ की टीम व प्रशासनिक चुस्ती के कारण जान माल का उतना नुकसान नही हुवा।

सुनील कुमार अग्रवाल : उत्तर बिहार के लिए बाढ़ एक न मिटने वाला अभिशाप बन चुका है। इसका एक मुख्य कारण नेपाल भी है। नेपाल में जब भी पानी का स्तर बढ़ता है वह अपने बांधों के दरवाजे खोल देता है। इसकी वजह से नेपाल से सटे बिहार के जिलों में बाढ़ आ जाती है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्रों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी बाढ़ की समस्या का एक मुख्य कारण है। इसकी वजह से जलग्रहण वाले क्षेत्रों में पानी रुकने से निचले इलाकों में फैल जाता है।

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