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आउटसोर्स से संविदा पर परिवर्तन की मांग को लेकर कर्मियों ने शुरू किया आंदोलन

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में बुधवार को आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों ने कलमबंद हड़ताल कर दी। कर्मचारी काम छोड़ विश्वविद्यालय परिसर स्थित धरना स्थल पर धरना देने बैठ गए और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 01:08 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:10 AM (IST)
आउटसोर्स से संविदा पर परिवर्तन की मांग को लेकर कर्मियों ने शुरू किया आंदोलन
आउटसोर्स से संविदा पर परिवर्तन की मांग को लेकर कर्मियों ने शुरू किया आंदोलन

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में बुधवार को आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों ने कलमबंद हड़ताल कर दी। कर्मचारी काम छोड़ विश्वविद्यालय परिसर स्थित धरना स्थल पर धरना देने बैठ गए और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। आउटसोर्स कर्मी निर्णय के बाद भी अब तक आउटसोर्स पर तैनात कर्मियों की सेवा को संविदा पर परिवर्तित नहीं किए जाने से आंदोलित हैं। बता दें कि इससे पूर्व 14 अक्टूबर को आउटसोर्स कर्मचारियों ने कुलपति प्रो. एसके सिंह से मुलाकात कर अपनी समस्याओं से रू-ब-रू कराया था। कर्मियों ने बताया कि विश्वविद्यालय के विभिन्न समितियों से अनुशंसित और सिडिकेट व सीनेट से निर्णय पारित कराया गया था कि विश्वविद्यालय में आउटसोर्स पर नियुक्त कर्मियों की सेवा को संविदा मे परिवर्तित किया जाएगा। लेकिन, विश्वविद्यालय के सर्वोच्च निकाय से निर्णय पारित होने के बाद भी आज तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी महती भूमिका निर्वहन करने से कतरा रहा है। कर्मियों में इस बात को लेकर आक्रोश है। कर्मियों का कहना है कि एक तो विश्वविद्यालय प्रशासन अपने ही निकायों के निर्णय का अनुपालन नहीं कर रही। दूसरी ओर, निर्णय के विपरीत संविदा पर कर्मियों की बहाली नए सिरे से करने का पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। कर्मियों का कहना है कि पहले निर्णय के आलोक में आउटसोर्स कर्मियों को संविदा पर परिवतर्तित किया जाए, उसके बाद ही संविदा पर नई नियुक्ति की प्रक्रिया की जानी चाहिए।

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विवि प्रशासन की रीढ़ बन चुके ये कर्मी :

आक्रोशित कर्मियों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन में कुलपति के बदलते ही पूरा कुनबा बदल जाता है। नया प्रशासन नई नियुक्तियां करने में ज्यादा दिलचस्पी लेता है एवं पूर्व से कार्यरत कर्मियों के प्रति असंवेदनशीलता ही सामने आती है। वर्तमान में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी विश्वविद्यालय में पिछले छह से 14 सालों से कार्य करते आ रहे हैं। विश्वविद्यालय के प्राय: सभी विभागों का कार्य आउटसोर्स कर्मियों के बदौलत ही संचालित हो रहा है। वर्तमान में आउटसोर्स कर्मी विवि प्रशासन की रीढ़ बने हुए हैं।

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आंदोलन को मिला कई संगठनों व प्रतिनिधियों का समर्थन :

लनामिविवि के सिडिकेट सदस्य डॉ. हरि नारायण सिंह व जदयू के राज्य परिषद सदस्य डॉ. अंजीत चौधरी ने आउटसोर्स कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन 149 आउटसोर्स कर्मचारियों के खिलाफ फैसला लेकर आत्मघाती कदम उठा रहा है। सिनेट एवं सिडिकेट के अपने ही निर्णय को पलटकर 149 कर्मचारियों, जो पिछले कई वर्षो से कार्यरत हैं, उनके पेट पर लात मारने की कोशिश की जा रही है, जो ना तो न्यायसंगत है और ना ही ऐसा संभव हो पाएगा। मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि आंदोलन का समर्थन होगा और विवि प्रशासन को इनकी मांगें माननी पड़ेगी। इधर, विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव द्वितीय डॉ. अखिलेश्वर सिंह, विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के सचिव साकेत मिश्र, विश्वविद्यालय छात्र संघ के प्रतिनिधि मयंक यादव, भारतीय अंगी विकास मंच के प्रमंडलीय अध्यक्ष जितेंद्र राम, भीम आर्मी के अध्यक्ष राजेश राम, राजू राम, 197 कर्मचारियों के नेता दशरथ यादव, सीनेट सदस्य मनीष राज आदि ने आंदोलन का समर्थन करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से इनकी जायज मांगों पर अविलंब ठोस कार्रवाई की मांग की है। इधर, आउटसोर्स कर्मी अमितेष कुमार, इम्तियाज, मनीष, प्रणव, विभाष, धीरज आदि ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों को उनका हक मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा।


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