भारत से आयातित ज्ञान का पश्चिमी क्षेत्र अब कर रहे निर्यात
दरभंगा। वैदिक गणित प्राचीन ग्रंथों में छिपा हुआ प्रमाण है जो हो सकता है कि कोडेड रूप में लिखा हुआ हो जिसे विद्वानों ने व्याख्या की और यह आम लोगों के लिए सुलभ हो गया।
दरभंगा। वैदिक गणित प्राचीन ग्रंथों में छिपा हुआ प्रमाण है जो हो सकता है कि कोडेड रूप में लिखा हुआ हो, जिसे विद्वानों ने व्याख्या की और यह आम लोगों के लिए सुलभ हो गया। यह सफलता के लिए सबसे अधिक आवश्यक तार्किक क्षमता को बढ़ाने में काफी सहायक सिद्ध हुआ है। लालबाग स्थित संस्कृति इंटरनेशनल गर्ल्स स्कूल में आयोजित वैदिक गणित पर पांच दिवसीय कार्यशाला का उदघाटन करते हुए कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने यह बातें कही। कुलपति ने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र से जो ज्ञान आ रहा है, उसे ही लोग बेहतर समझ रहे हैं। हमें इस हीन भावना से बाहर निकालना जरूरी है। सच्चाई यही है की उन लोगों ने हमारे यहां से जिन वस्तुओं को आयात किया था, उसी को अब निर्यात कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि विश्व गुरु के नाम से विख्यात इस धरती पर दुनिया भर के लोग ज्ञान अर्जन करने आते थे। वर्कशॉप मे आए रिसोर्स पर्सन यह बताएंगे कि किस तरह मॉडर्न मैथमेटिक्स से वैदिक गणित बेहतर है, ताकि छात्र इस पर विश्वास कर इसे अपना आधार बना सके। छात्रों के अंदर छिपी क्षमता को उच्चतर स्थिति तक पहुंचाना ही शिक्षा का उद्देश्य होता है। कुलपति ने इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए स्कूल प्रबंधन की प्रशंसा की। कहा कि प्राचीन ग्रंथों में जो साक्ष्य छुपा है, उसे एहसास करने, हम उससे कितना दूर हैं उसे समझने और ²ढ़शक्ति के साथ पुरानी गौरवशाली परंपरा को वापस लाने के लिए संकल्प लेने की आवश्यकता है। अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यालय के सचिव डॉ. बीके मिश्रा ने कहा कि वैदिक गणित के ज्ञान से कठिन से कठिन सवालों को लोग सरल रूप में हल कर सकते हैं। उनका यह सोचना है कि वैदिक गणित को समझने के बाद बेसिक ज्ञान से निरस विषय गणित सरस लगने लगेगा। कार्यशाला में कई विद्यालय के शिक्षक एवं छात्र छात्राएं भी भाग ले रहे हैं। डॉ. इंदिरा झा ने कहा कि वैदिक गणित के धार्मिक एवं व्यावहारिक पक्ष हैं जिसकी खोज 146वें पूरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य विश्वदानंद सरस्वती ने किया था। उन्होंने 16 सूत्र और 22 उप सूत्र के साथ वैदिक गणित की खोज की थी। वे मूलत: दरभंगा के निवासी थे। इसलिए, यह हमारे लिए गौरव की बात है कि विश्व को वैदिक गणित का ज्ञान देने वाले, मिथिला के धरती के हैं। वर्तमान पुरी पीठाधीश्वर के द्वारा भी इस खोज को और आगे बढ़ाया जा रहा है। लनामिविवि के गणित विभागाध्यक्ष डॉ. एनके अग्रवाल ने कहा कि प्रतियोगिता के दौर मे वैदिक गणित छात्रों के लिए काफी लाभदायक है। यह अर्थमैटिक मैथमेटिक्स को सरल रूप में सॉल्व करने का टेक्निक है। कठिन से कठिन सवालों का आसानी एवं तीव्र गति से गणन करने में वैदिक गणित काफी लाभदायक साबित हो रहा है। गोवर्धन मठ से आए वैदिक गणित के मर्मज्ञ डॉ. रामचंद्र देव ने कहा कि यह हमारे पूर्वजों का दिया हुआ ज्ञान है। विदेशी ताकतों ने इसे नष्ट कर दिया था। लेकिन, पूरी पीठाधीश्वर ने इसकी खोज की। संस्कृत से ही सारे सूत्र बनाए गए हैं। स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के निदेशक राहुल मिश्रा ने की। कार्यक्रम में पूर्व कुलपति डॉ. एसएम झा, ब्रज मोहन मिश्रा, पवन सुरेका, डॉ. विवेकानंद झा, पीसी झा, डॉ. ललन सिंह सहित कई गणमान्य व शिक्षाविद मौजूद रहे।