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बाढ़ के स्थायी समाधान को ले 4 अक्टूबर से कमला यात्रा करेंगे जल संसाधन मंत्री

मिथिलांचल खासकर दरभंगा और मधुबनी जिला की जीवनधारा कमला-बलान नदी और इससे जुड़े क्षेत्रों की सुरक्षा तथा पुनर्उत्थान के संबंध में लोगों का नजरिया जानने और उन्हें जागरुक करने के लिए सूबे के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा कमला-बलान के तटीय क्षेत्रों में 4 अक्टूबर से दो दिवसीय कमला यात्रा करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 01:33 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:33 AM (IST)
बाढ़ के स्थायी समाधान को ले 4 अक्टूबर से कमला यात्रा करेंगे जल संसाधन मंत्री
बाढ़ के स्थायी समाधान को ले 4 अक्टूबर से कमला यात्रा करेंगे जल संसाधन मंत्री

दरभंगा । मिथिलांचल खासकर दरभंगा और मधुबनी जिला की जीवनधारा कमला-बलान नदी और इससे जुड़े क्षेत्रों की सुरक्षा तथा पुनर्उत्थान के संबंध में लोगों का नजरिया जानने और उन्हें जागरुक करने के लिए सूबे के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा कमला-बलान के तटीय क्षेत्रों में 4 अक्टूबर से दो दिवसीय कमला यात्रा करेंगे। इस यात्रा के दौरान मंत्री कमला-बलान नदी के पूर्वी एवं पश्चिमी तटबंध का व्यक्तिगत रुप से निरीक्षण करेंगे। साथ ही, जल संसाधन विभाग की ओर से इस क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के बारे में आम लोगों से उनकी राय जानेंगे और सुझाव भी लेंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों से इस यात्रा में जुड़ने का आहृवान किया है। यात्रा को लेकर संजय ने बताया कि दरभंगा और मधुबनी की धरोहर कमला-बलान नदी और इससे आसपास के क्षेत्रों के पुर्नउत्थान तथा बाढ़ से सुरक्षा को लेकर जल संसाधन विभाग पिछले कई महीनों से कई स्तरों पर कार्य कर रहा है। जुलाई महीने में आई बाढ़ के कारण तटबंधों के क्षतिग्रस्त हुए स्थलों को युद्धस्तर पर दुरूस्त किया गया है। इसके अलावा आइआइटी के प्रोफेसर नयन शर्मा सहित कई विशेषज्ञों की टीम से चार अलग-अलग स्तरों पर तकनीकी समीक्षा कराई गई है। कहा कि मिथिला और उत्तर बिहार से संबंधित कई योजनाओं में अप्रत्याशित गति देखने को मिल रही है, जिसमें दशकों से लंबित पश्चिमी कोशी परियोजना प्रमुख है। योजना के पूरा हो जाने से दरभंगा और मधुबनी की दो लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि सिचित हो सकेगी। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। जुलाई में आई बाढ़ और इससे क्षतिग्रस्त हुए स्थलों का उन्होंने न सिर्फ व्यक्तिगत रुप से दौरा किया, बल्कि इसकी मरम्मति और सुरक्षा स्थिति की विभागीय स्तर पर इसकी समीक्षा भी की। मंत्री का कहना है कि आपदा ने हमें मिथिला की इस धरोहर नदी के समुचित जीर्णाेद्धार पर कार्य करने के लिए और भी संकल्पित कर दिया। विभाग के विशेषज्ञ कमला के अतिरिक्त पानी से बिजली उत्पादन की संभावनाओं पर विचार करने के अलावा कई अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे है। यात्रा के उद्देश्य के बारे में मंत्री ने बताया कि इस यात्रा के पीछे उनकी सोच कमला-बलान के संरक्षण और इससे संबंद्ध क्षेत्रों के विकास के दीर्घकालीन उपायों पर काम करने की है। इसी क्रम में 4 अक्टूबर को कमला के पूर्वी तटबंध और 5 अक्टूबर को पश्चिमी तटबंध का दौरा करेंगे। पहले दिन लगभग 100 किमी और दूसरे दिन 50 किमी की इस यात्रा के दौरान कई पड़ावों पर आम चर्चा होगी।

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