व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
दरभंगा। चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन रविवार की शाम व्रतियों ने अ
दरभंगा। चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन रविवार की शाम व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य) को अर्घ्य दिया। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच व्रतियों ने घरों में रहकर ही छठ पूजा किया। सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान सूर्य (उगते सूर्य) को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व चैती छठ संपन्न हो जाएगा। जिला प्रशासन ने लोगों को घर में रहकर ही छठ पूजा करने की अपील की थी, जिसके बाद ज्यादातर लोगों ने अपने घर में ही भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया और भगवान सूर्य से कोरोना से पूरी दुनिया को बचाने की प्रार्थना की।
छठ पर्व पर लोग जहां एक साथ मिलकर नदियों या तालाबों के पास एकत्र होते हैं, घर में भी लोग काफी संख्या में व्रती के यहां प्रसाद ग्रहण और पूजा में शामिल होने पहुंचते हैं। लेकिन पिछले दो वर्षों से कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों से घरों में ही रहकर छठ पूजा मना रहे हैं। लोग नदियों में, या तालाबों में अर्घ्य देने नहीं गए। छठ पूजा पिछले दो वर्षों से धूमधाम की जगह शांतिपूर्वक तरीके से मनाई जा रही है।
लोगों ने नियमों का पालन करते हुए घरों में भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की। चैती छठ पूजा के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हुए व्रतियों ने ये कामना की सबसे पहले भगवान इस कोरोना की महा-आपदा को हर लो। सबकुछ पहले की तरह सामान्य हो और लोग सुख-शांति से जिदगी जी सके। छठ पर्व प्रकृति का वो अनूठा पर्व है जिसमें प्रकृति प्रदत वस्तुओं से ही प्रकृति के साक्षात देवता भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।
कोविड-19 गाइडलाइन के तहत पूरी हुई बेल न्योति की रस्म :
चैती दुर्गा पूजा को लेकर विभिन्न पूजा समितियों ने रविवार को बेल न्योति की पूरी श्रद्धा के साथ की। इस दौरान पूजा समिति के सदस्य कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए गाजे बाजे के साथ जय माता दी का जयघोष करते हुए बेल वृक्ष के पास पहुंचे और पूजा की। पश्चिमी प्रखंड के घोरदौर, पचहरा,मसानखोन, महाराजपुर,घोरसर, भदहर,परसंडा, हिरणी एवं मैरची तथा पूर्वी प्रखंड के कुशेश्वरस्थान बाजार के राम जानकी मंदिर,भडीहा, पिपरा कारगील चैक,समौरा एवं जुरौना में चैती दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया है। पूजा स्थलों पर लगातार हो रहे दुर्गा सप्तशती के पाठ से क्षेत्र भक्तिमय बना हुआ है।