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गलती विश्वविद्यालय की, सुधार के लिए कॉलेज कर्मी ने की उगाही

सूबे में भले ही ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की साख बढ़ी है लेकिन इसकी कार्यशैली से बार-बार इस साख पर सवालिया निशान उठ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 01:50 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 06:32 AM (IST)
गलती विश्वविद्यालय की, सुधार के लिए कॉलेज कर्मी ने की उगाही
गलती विश्वविद्यालय की, सुधार के लिए कॉलेज कर्मी ने की उगाही

दरभंगा । सूबे में भले ही ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की साख बढ़ी है, लेकिन इसकी कार्यशैली से बार-बार इस साख पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। विवि की लचर कार्यशैली के कारण एक छात्रा का पूरा साल पहले ही खराब हो चुका है और अब नौकरी का मौका बचाने के लिए उसे कॉलेज कर्मी को उस गलती के लिए नाजायज रुपये देने पड़े जो उसने नहीं बल्कि विश्वविद्यालय ने की। विवि की लापरवाही का खामियाजा छात्रा को मानसिक व आर्थिक परेशानियों के रूप में झेलनी पड़ी। छात्रा ने केमेस्ट्री ऑनर्स विषय के साथ स्नातक तृतीय खंड की परीक्षा पास की, लेकिन उसके औपबंधिक प्रमाण पत्र पर बैचलर ऑफ साइंस की जगह बैचलर ऑफ आ‌र्ट्स अंकित कर दिया गया। छात्रा का चयन आइसीआइसीआइ बैंक में पीओ के पद पर हो चुका है जिसके लिए उसे 1 अप्रैल तक अपने कागजात जमा करने थे। 28 मार्च को जब वह अपना प्रमाण पत्र लेने कॉलेज पहुंची तब उसे बताया गया कि उसमें गलती हो गई है। यह प्रमाण पत्र उसके किसी काम का ना था। आखिरकार, इसमें सुधार के लिए उसे कॉलेज के एक कर्मी ने उगाही कर ली, तब जाकर उसे 1 अप्रैल को संशोधित प्रमाण पत्र मिल सका।

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अंक पत्र पर छाप दी थी पंछी की तस्वीर :

जीडी कॉलेज की बीएससी थर्ड पार्ट की छात्रा सुगंधा कुमारी ने बताया कि स्नातक तृतीय खंड का एडमिट कार्ड जारी होने के साथ ही उसकी परेशानी भी शुरू हो गई। एडमिट कार्ड पर उसकी जगह एक पंछी की तस्वीर थी, जबकि ऑनलाइन परीक्षा फार्म जमा करते समय उसने अपनी तस्वीर ही अपलोड की थी, उसके पास प्रमाण भी है। इसे ठीक होने में सात महीने लग गए। रिजल्ट तो सुधरा लेकिन तस्वीर नहीं बदली। बाद में दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद विवि प्रशासन ने उसका अंकपत्र सही कर कॉलेज भेजा, लेकिन जब औपबंधिक प्रमाण पत्र भेजा गया तो उसमें एक और गलती सामने आ गई।

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कॉलेज ने पल्ला झाड़ा :

विश्वविद्यालय ने छात्रा का प्रमाण पत्र 5 फरवरी को तैयार कर कॉलेज भेज दिया। प्रमाण पत्र में गलती होने पर कॉलेज प्रशासन को इसकी सूचना विश्वविद्यालय को देकर उसमें सुधार कराना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जब छात्रा 28 मार्च को प्रमाण पत्र लेने पहुंची तो कॉलेज ने सीधा पल्ला झाड़ लिया और छात्रा को विवि मुख्यालय जाने की सलाह दे डाली। हालांकि, कॉलेज के एक कर्मी ने प्रमाण पत्र ठीक कराने के नाम पर छात्रा से तीन सौ रुपये मांगे। दरभंगा जाने में परेशानी व समय के अभाव को देखते हुए छात्रा उसके लिए भी तैयार हो गई। कॉलेज सूत्रों की मानें तो यह अकेला मामला नहीं है। कई अन्य छात्रों के प्रमाण पत्रों में भी इस तरह की गलती की गई है।


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