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भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दो विश्वविद्यालय के कुलपति आमने-सामने, शिक्षा जगत में खलबली

दरभंगा। सूबे के विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर सम्मान पाने के बाद विवादों में घिर रहे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह और मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि पटना के कुलपति प्रो. कुद्दुस आमने-सामने हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 12:24 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 12:24 AM (IST)
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दो विश्वविद्यालय के कुलपति आमने-सामने, शिक्षा जगत में खलबली
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दो विश्वविद्यालय के कुलपति आमने-सामने, शिक्षा जगत में खलबली

दरभंगा। सूबे के विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर सम्मान पाने के बाद विवादों में घिर रहे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह और मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि पटना के कुलपति प्रो. कुद्दुस आमने-सामने हैं। दोनों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला अब तूल पकड़ने लगा है। भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर आंदोलन शुरू हो गए हैं।

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मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि पटना के कुलपति प्रो. कुद्दुस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कुलाधिपति फागू चौहान को लिखे पत्र में मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि के प्रभारी कुलपति रहे प्रो. एसपी सिंह के कार्यकाल में टेंडर में गड़बड़ी को उजागर करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्र में बताया गया है कि टेंडर देने में नियमों की की अनदेखी की गई है। विवि में आउटसोर्सिंग एजेंसी और उत्तर पुस्तिका खरीदारी के टेंडर में करोड़ों का खेल हुआ है। आउटसोर्सिंग एजेंसी को 45 आउटसोर्स वर्कर की जगह 80 को भुगतान दिखाया गया है। इसी तरह प्रति उत्तर पुस्तिका सात रुपये की जगह 16 रुपये का भुगतान दिखाकर गड़बड़ी की गई है। इस मामले के सामने आने के बाद प्रो. एसपी सिंह के खिलाफ कई अन्य मामलों के भी सामने आने की बात कही जा रही है। इस बीच उनसे लगातार प्रभार वापस लेने को लेकर भी अटकलें तेज हैं। जानकार बताते हैं कि कई मामले अभी सामने आने शेष हैं।

प्रो. कुद्दुस द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद

ललित नारायण मिथिला विवि के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि जब मैं मौलाना मजरूल हक अरबी फारसी विवि के कुलपति पद के प्रभार में था। तो टेंडर कमेटी के द्वारा उक्त टेंडर की प्रक्रिया की गई थी। लेकिन टेंडर प्रक्रिया के बाद की बिल को लेकर ऑडर, भुगतान आदि की प्रक्रिया प्रो. कुद्दुस के प्रभार ग्रहण के बाद पूरी की गई है। अगर टेंडर प्रक्रिया में गड़ब़ड़ी थी। तो कुलपति प्रो. कुद्दुस को अधिकार था कि उस टेंडर को निरस्त कर सकते थे। उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। प्रो. एसपी सिंह से प्रो. कुद्दुस ने लिया था प्रभार याद रहे कि मिथिला विवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह के पास मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि के कुलपति पद का प्रभार था। इस बीच उन्हें वहां के प्रभार से मुक्त करते हुए उनके स्थान पर प्रो. कुद्दुस को विवि का कुलपति बनाया गया। प्रभार लेने के साथ ही प्रो. कुद्दुस ने प्रो एसपी सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार का एक नया पन्ना खोला है। हालांकि, इस मामले की अभी जांच होनी शेष है।

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