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'पैडवुमन' बनी बिहार की यह युवती, ऐसे चला रही स्वच्छ बेटी, स्वस्थ समाज की मुहिम

बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली अनुपम झा स्वच्छ बेटी स्वस्थ समाज मुहिम के जरिए छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन के प्रयोग के लिए जागरूक बना रही हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी मुहिम चल रही।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 09:39 AM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 10:11 PM (IST)
'पैडवुमन' बनी बिहार की यह युवती, ऐसे चला रही स्वच्छ बेटी, स्वस्थ समाज की मुहिम
'पैडवुमन' बनी बिहार की यह युवती, ऐसे चला रही स्वच्छ बेटी, स्वस्थ समाज की मुहिम

दरभंगा [जेएनएन]। अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' से प्रेरित अनुपम झा छह माह से 'स्वच्छ बेटी, स्वस्थ समाज' अभियान चला रही हैं। वे 'पैडवुमैन' बन स्कूलों व कॉलेजों में छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन प्रयोग करने के लिए जागरूक करती हैं। इसका इस्तेमाल नहीं करने से होने वाली बीमारियों और पीरियड के दौरान किस तरह सफाई रखें, इस बारे में बात करती हैं।

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पति एडवोकेट प्रवीण झा और तकरीबन 50 युवतियों के सहयोग से अनुपम बिहार के कई जिलों में काम कर रही हैं। सोशल मीडिया पर इस अभियान में तीन हजार से अधिक फॉलोवर हैं। 

घनश्यामपुर की रहने वाली स्नातक पास 25 वर्षीय अनुपम ने बचपन में गांव में देखा कि गरीब घर की महिलाएं बेटी को पैड उपलब्ध नहीं करवा पातीं। इस कारण कपड़ा यूज करना पड़ता है। बीमारी होने की आशंका रहती है। उन्होंने तभी सोच लिया था कि बड़ी होकर इस पर काम करेंगी।

कुछ महीने पहले आई फिल्म 'पैडमैन' ने उनकी इस सोच को बल दिया। अनुपम ने जब यह मुहिम शुरू करने का निर्णय लिया तो सहेलियों से लेकर पिता तक ने साथ देने से इन्कार कर दिया। साथी लड़कियों ने कहा कि सेनेटरी पैड बोलकर जागरूकता अभियान में साथ नहीं दे सकतीं। इसीलिए उन्होंने 'अनुपम मुहिम' नाम देकर अकेले इसकी शुरुआत की। बाद में कुछ छात्राएं जुड़ीं।

दरभंगा शहर के एमआरएम कॉलेज में सबसे पहले उनकी टीम की सदस्य सोनाली मिश्रा ने छात्राओं को जागरूक किया। अभी सपना झा, साधना कुमारी, नीतू कुमारी व ज्योति झा सहित अन्य छठी क्लास से लेकर कॉलेज तक की छात्राओंं को जागरूक कर रही हैं। मधुबनी, मधेपुरा और पटना तक यह मुहिम चल रही है। 

मुफ्त पैड के लिए मंत्री से लेकर अधिकारी तक को ज्ञापन

बिहार के सभी सरकारी एवं गैरसरकारी स्कूलों व कॉलेजों में मुफ्त पैड उपलब्ध कराने को लेकर अनुपम सूबे के शिक्षा मंत्री को दो बार ज्ञापन दे चुकी हैं। उन्होंने हर संभव मदद की बात कही। अधिकारियों को भी ज्ञापन दिया है।

अनुपम का कहना है कि पीरियड के दौरान बहुत सी छात्राएं स्कूल व कॉलेज जाने में झिझकती हैं। इसे तोडऩे के लिए काम कर रही हैं। सरकार जब जनसंख्या व एड्स पर नियंत्रण के लिए गर्भनिरोधक उपकरण व दवाइयां बांट सकती है तो सेनेटरी नैपकिन क्यों नहीं? 

कहा-प्राचार्य ने 

स्कूल, कॉलेजों में सेनेटरी नैपकिन को ले जागरूकता की यह मुहिम काफी सराहनीय है। सभी महिला शिक्षण संस्थानों में सरकार की ओर से वेंडिंग मशीन लगाने की जरूरत है। कई एनजीओ व निजी क्लब इस दिशा में काम कर रहे हैं। मेरे कॉलेज में एक क्लब ने वेडिंग मशीन लगाई है।

-डॉ. अरविंद कुमार झा, प्राचार्य, एमआरएम महिला कॉलेज, दरभंगा।


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