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जिले के थर्ड टॉपर राज मिश्रा बनना चाहता आइएएस

लक्ष्मीसागर मोहल्ले में भाड़े के एक छोटे से मकान में अपने परिवार के साथ रहकर पढ़ाई करने वाले राज मिश्रा की तमन्ना है कि पहले आइआइटी से इंजीनियर बने।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 02:27 AM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 06:31 AM (IST)
जिले के थर्ड टॉपर राज मिश्रा बनना चाहता आइएएस
जिले के थर्ड टॉपर राज मिश्रा बनना चाहता आइएएस

दरभंगा। लक्ष्मीसागर मोहल्ले में भाड़े के एक छोटे से मकान में अपने परिवार के साथ रहकर पढ़ाई करने वाले राज मिश्रा की तमन्ना है कि पहले आइआइटी से इंजीनियर बने। इसके बाद उसकी इच्छा आइएएस बनकर देश की सेवा करने की है। मैट्रिक परीक्षा में जिले में 460 अंक लाकर तीसरा स्थान प्राप्त करने वाले राज मिश्रा के पिता मोती मिश्रा निजी वाहन चालक हैं। मां नीलू देवी गृहिणी हैं। दो भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर पर राज मिश्रा हैं। केवल एक बहन उससे बड़ी है। लेकिन राज मिश्रा के हौसले बहुत बुलंद हैं। अपने पिता को अपना सबसे बड़ा मोटिवेटर मानने वाले राज ने कहा कि मैंने जितनी मेहनत की थी उस हिसाब से अंक आए हैं। मुझे संतोष है। किसी बात का कोई पछतावा नहीं है। पहले मूल्यांकन में शिकायत होती थी ।जिससे बच्चों को अच्छे अंक नहीं आ पाते थे। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं भी संतुष्ट हूं और मेरे अन्य साथी भी प्राप्तांक से संतुष्ट हैं। राज ने कहा कि मेरे पिता ने मुझे केवल पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मां पढ़ने में सहयोग करती थी। परीक्षा की तैयारी में वह समय पर जगा देती थी। भोजन देती थी और मेरी हर सुविधा का ध्यान रखती थी। लेकिन मां बाप ने कभी यह नहीं कहा कि तुम्हें प्रथम श्रेणी लाना है या तुम्हें यह बनना है। दोनों सदा केवल यही कहते थे कि बेटा पढ़ लोगे तो अच्छे बन जाओगे। परीक्षा से पूर्व तो मैं 12 से 14 घंटे प्रतिदिन पढ़ता था। लेकिन यह मेरी दिनचर्या कभी नहीं रही। हां स्वाध्याय के माध्यम से उसे पूरे मन मस्तिष्क के साथ ग्रहण भी किया। केवल घंटे पूरा करने के लिए कभी पढ़ाई नहीं किया। जब कभी पढ़ने बैठता था और समझ में नहीं आता था तो किताब छोड़कर छोटे भाई बहनों के साथ खेलने बैठ जाता था। उस दिन दो चार घंटे ही पढ़ाई होती थी। लेकिन जितनी देर भी मैं पढ़ता था उसे समझ कर पढ़ता था। राज हाई स्कूल के प्राचार्य मिथिलेश कुमार एवं अन्य शिक्षकों के साथ अपने माता पिता को अपनी सफलता का श्रेय दिया।

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