दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का बदलेगा स्वरूप, स्थापित होगा इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल स्टडीज
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का स्वरूप बदलने जा रहा है।
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का स्वरूप बदलने जा रहा है। निदेशालय की मान्यता खत्म होने के बाद से इसके अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए पहल शुरू की गई है। योजना के तहत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के संसाधनों का प्रयोग कर 'इंस्टीच्यूट आफ प्रोफेशनल स्टडीज' केंद्र स्थापित किया जाएगा। विश्वविद्यालय में 13 जनवरी को आयोजित सीनेट की बैठक में प्रो.एचसी झा की ओर से दिए गए प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अनुमोदित कर सरकार को भेजा गया है। बिहार सरकार से अनुमति मिलने के बाद निदेशालय में 'इंस्टीच्यूट आफ प्रोफेशनल स्टडीज' केंद्र की स्थापना की जाएगी। उक्त केंद्र में ,स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत रेगुलर मोड में दर्जनभर से अधिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई शुरू की जाएगी। केंद्र स्थापना होने से दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय तक के हजारों छात्रों को लाभ पहुंचेगा।
इन पाठ्यक्रमों की शुरू होगी पढ़ाई (रेगुलर मोड)
. बीलिस
.एमलिस
.बीबीए
.एमबीए
. बीसीए . एमसीए . एम इन एजुकेशन . बीएड . इंटीग्रेटेड एमएड सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज शुरू किए जाएंगे। -----------
मिथिला विश्वविद्यालय सहित राज्य के सभी विवि में दूरस्थ शिक्षा की मान्यता खत्म विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दूरस्थ शिक्षा ब्यूरो (डीईबी) ने देशभर में दूरस्थ शिक्षा के लिए मान्य विश्वविद्यालयों व उनके संस्थानों की सूची जारी की थी। इसमें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित बिहार का एक भी विश्वविद्यालय व संस्थान नहीं है। पूर्व में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय बोधगया से दूरस्थ शिक्षा से विभिन्न तरह के कोर्स कराने की अनुमति थी।
दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में नामांकन को आते थे नेपाल तक के विद्यार्थी
मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में संचालित चार दर्जन से अधिक विभिन्न तरह के कोर्स में नामांकन के लिए दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय, सीतामढ़ी, सहरसा,सुपौल सहित नेपाल तक के हजारों विद्यार्थी पहुंचते थे। निदेशालय की मान्यता रद होने के बाद से इन क्षेत्रों से नामांकन को पहुंचने वाले लगभग डेढ़ लाख विद्यार्थियों को मायूसी झेलनी पर रही है।
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