डीएमसीएच के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष मांग रहे पैसे, पीजी छात्र-छात्राओं को दे रहे फेल कराने की धमकी
Darbhanga News पैसे मांगने के आरोप के बाद प्राचार्य ने संज्ञान लेते हुए डा. कुमार को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण व अपना पक्ष सौंपने को कहा है। जारी पत्र में कहा गया है कि आपके खिलाफ कमेटी गठित कर कार्रवाई की जाएगी।
दरभंगा, जासं। दरभंगा मेडिकल कालेज, अस्पताल के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष पर लगे अवैध वसूली के आरोपों की जांच शुरू हो गई है। इस सिलसिले में पीजी छात्र-छात्राओं के गंभीर आरोप को लेकर प्राचार्य ने विभागाध्यक्ष डा. अवध कुमार से जवाब- तलब किया है। प्राचार्य ने डा. कुमार को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण और अपना पक्ष सौंपने को कहा है। इस सिलसिले में प्राचार्य की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि क्यों नहीं आपके कृत्यों के लिए आपके खिलाफ कमेटी गठित कर कार्रवाई की जाएगी।
प्राचार्य ने कहा है कि आपके खिलाफ ऐसी सूचना प्राप्त हुई कि आपकी ओर से सर्जरी विभाग के पीजी छात्रों को डरा धमका कर अवैध राशि की वसूली करते हैं। पीजी छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। उन पीजी छात्रों के थेसिस साइन नहीं करने और फाइनल परीक्षा में फेल करने की भी धमकी दी जा रही है। यह कहीं से उचित नहीं है और यह गैर कानूनी भी है।
बताया गया है कि सर्जरी के विभाग के अध्यक्ष डा. कुमार के योगदान करने के बाद से ही उनके कार्य कलाप पर सवाल उठ रहे थे। इसी संबंध में 26 पीजी छात्रों ने 16 सितंबर को एचओडी डा. कुमार के कार्यकलाप को लेकर प्राचार्य , आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (एकेयू) , एकेयू के परीक्षा नियंत्रक और एकेयू के रजिस्ट्रार को पत्र भेजा था। पीजी छात्रों ने इस पत्र में आरोप लगाया है कि एचओडी मानसिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे हैं। थेसिस पर हस्ताक्षर करने के एवज में एचओडी हरेक माह दस हजार राशि देने की मांग कर रहे हैं। राशि नहीं देने पर फाइनल परीक्षा में फेल करने की धमकी दे रहे है। एचओडी यह भी कहते है कि आठ विकेट गिराकर ही दम लेंगे। छात्रों ने डीएमसीएच प्रशासन समेत एकेयू प्रशासन से गुहार लगाई है कि एचओडी डा. कुमार को थेसिस पर साइन करने के अधिकार से या एचओडी पद से ही मुक्त किया जाए।
विभागाध्यक्ष ने आरोपों को किया खारिज
मामले में एचओडी डा. अवध कुमार ने बताया कि उनके मात्र 19 दिनों के कार्यकाल में विभाग में सेमिनार, शोध कार्य समेत अन्य कामकाज प्रगति पर है। मेरे खिलाफ पीजी छात्रों का आरोप बेबुनियाद है। विभाग में 100 प्रतिशत पीजी छात्रों की उपस्थिति है। पीजी छात्र शैक्षणिक और प्रशिक्षण कार्य में लगे है। मरीजों का इलाज बेहतर हो रहा है। जो, लोग अच्छे काम करते हैं, उनकी ही शिकायत होती रहती है।