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बायोचार से खेतों की बदल रही तस्वीर, पैदावार बढ़ने से बढ़ी आमदनी

दरभंगा। रासायनिक खाद के बढ़ते दाम और दुष्प्रभाव को देखते हुए किसान विकल्प के रूप में देसी ख

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 11:45 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 11:45 PM (IST)
बायोचार से खेतों की बदल रही तस्वीर, पैदावार बढ़ने से बढ़ी आमदनी
बायोचार से खेतों की बदल रही तस्वीर, पैदावार बढ़ने से बढ़ी आमदनी

दरभंगा। रासायनिक खाद के बढ़ते दाम और दुष्प्रभाव को देखते हुए किसान विकल्प के रूप में देसी खाद तैयार कर खेती कर रहे हैं। तारडीह प्रखंड की किसानों की यह अनूठी पहल धीरे-धीरे रंग ला रही है। किसान अब बहुतायत में फसलों के साथ-साथ फल एवं सब्जी की खेती में देसी खाद का उपयोग कर रहे हैं। दरभंगा और मधुबनी जिले में कार्यरत स्वयंसेवी संस्था हेल्पेज इंडिया के सहयोग से तारडीह प्रखंड के साथ-साथ मनीगाछी, घनश्यामपुर के कई गांवों के किसान स्वयं सहायता समूह के माध्यम से देसी खाद का निर्माण करने में लगे हैं। कम लागत में अधिक मात्रा में खाद का उत्पादन और इसके फायदे को देखकर आसपास के गांवों के किसान भी देसी खाद की ओर आकर्षित होने लगे हैं। जैविक खाद बायोचार का निर्माण कर किसान न केवल अपने खेतों के उपज बढ़ा रहे हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ अपनी भूमि को बंजर होने से बचा रहे हैं।

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एक सप्ताह में तैयार हो जाता है जैविक खाद : किसान रामचंद्र सिंह बताते हैं कि बायोफर्टिलाइजर और चारकोल (लकड़ी कोयला) के समिश्रण से तैयार होनेवाले इस खाद को बनाने के लिए किसान सबसे पहले लकड़ी, फसल के अवशेष जैसे धान के भूसा, पुवाल आदि से कोयला तैयार करते हैं। फिर कोयले में मात्रा अनुसार वर्मी कपोस्ट को मिलाते हैं और उच्च गुणवत्ता के लिए इसमें किसान खुद से निर्माण कर ईएम और डिकम्पोसर का छिड़काव करते हैं। इसमें जैविक मात्रा बढ़ाने के लिए गुड़ मिलाकर पूरे समिश्रण को सात दिन तक पॉलिथीन के सहारे बंद कर देते हैं। एक सप्ताह के बाद जैबिक उर्बरक बायोचार बन कर तैयार हो जाता है।

पशु चारा में भी लाभदायक है बायोचार : हेल्पेज इंडिया के जिला समन्वयक ज्योतिष झा ने बताया की बायोचार पशु में मिथेन उत्पादन में कमी कर शारीरिक वृद्धि दर को सुनिश्चित करता है। पशुओं के पाचन प्रक्रिया में सुधार कर रोग प्रतिरोधक क्षमता में बृद्धि करता है। इसके अलावे पशु के शरीर के क्रोनिक बोटुलि•ा्म (विषाक्त) को कम कर भोजन क्षमता और ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करता है।

भूमि की गुणवत्ता को जड़ से सुधार करता है बायोचार : हेल्पेज इंडिया के प्रदेश प्रभारी गिरीश चंद्र मिश्र ने बताया कि बायोचार उर्वरक का प्रयोग करने से खेतों की गुणवत्ता को जड़ से सुधार करते हुए पौधों या फसल की वृद्धि को कई गुना बढ़ा देता है। मिट्टी की अम्लता को कम करता है और खेतों में बढ़ी हुई क्षारीयता को भी संतुलित कर मिटटी के जल संग्रहण क्षमता में भी वृद्धि करता। इस जैविक खाद में फसल को देने बाले 16 न्यूटेन्ट मौजूद है, जिसके प्रयोग से मिट्टी की अम्लता कम होने के साथ उसमे बढ़ी हुई क्षारीयता को संतुलित करता है। इसके उपयोग से उपज में कई गुना वृद्धि होती है।


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