कहीं शिक्षकों का टोटा तो कहीं बच्चों का, पढ़ाई बाधित
दरभंगा। सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए लाख जतन किए जा रहे हैं। कहीं-कहीं यह प्रयास सफल भी है।
दरभंगा। सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए लाख जतन किए जा रहे हैं। कहीं-कहीं यह प्रयास सफल भी है। लेकिन, अधिकांश स्कूलों में विषय वार शिक्षकों का टोटा है। जो शिक्षक हैं, वह गणित, विज्ञान तथा अंग्रेजी पढ़ाना नहीं चाहते। केवल हिदी एवं सामाजिक विज्ञान ही पढ़ा कर अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं। छात्र-शिक्षक अनुपात में शिक्षकों का पदस्थापन भी नहीं है। इसके विपरीत कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों के अनुपात में शिक्षकों का पदस्थापन अपने रिकॉर्ड को भंग कर रहा है। इसके बावजूद कई विषय ऐसे हैं, जिनकी शिक्षा बच्चे ग्रहण नहीं पा रहे हैं। लहेरियासराय जिला तथा प्रमंडल का मुख्यालय है। आदर्श मध्य विद्यालय इसी मुख्यालय के परिसर में अवस्थित है। लगभग 300 बच्चे यहां नामांकित है। प्रधानाध्यापक को छोड़कर मात्र पांच शिक्षक यहां पदस्थापित हैं। इसमें भी एक शिक्षक ऐसे है, जिनमें विज्ञान पढ़ाने की दक्षता है। उन्हें प्रशासन सदा जिला मुख्यालय में प्रतिनियुक्ति पर रखता है। चार शिक्षकों में सब हिदी पढ़ाने वाले ही है। प्रधानाध्यापक स्वयं तो गणित पढ़ा देते हैं, लेकिन जब अंग्रेजी पढ़ाने की बारी आती है तो सारे शिक्षक यही चाहते हैं कि उन्हें छोड़ दूसरे को भेज दिया जाए। तुम जाओ-तो तुम जाओ.. मैं बच्चों की घंटी बीत जाती है और अंग्रेजी की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। प्रधानाध्यापक संजीव कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षकों के पदस्थापन के लिए कई बार विभाग को लिखा गया। स्वयं भी जाकर जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा स्थापना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से मिला। बावजूद छात्र-शिक्षक अनुपात में यहां शिक्षकों का पदस्थापन नहीं हुआ है। इसके विपरीत प्रमंडलीय मुख्यालय के पूरब आरक्षी लाइन प्राथमिक विद्यालय में 100 बच्चे भी नामांकित नहीं हैं। लेकिन, वहां शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है। बड़े-बड़े बाबू-हाकिम की पत्नियां इस स्कूल में शिक्षिका है। बच्चे तो है नहीं जो उन्हें पढ़ाना पड़े। आराम से आती हैं और फिर बिना किसी तनाव के वापस लौट जाती हैं। हाकिमों की आड़ में जो पुरुष शिक्षक पदस्थापित है, वह भी बच्चों की पढ़ाई छोड़ दूसरे कामों में व्यस्त है। शहरी क्षेत्र होने के कारण स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों का पदस्थापन है। लेकिन, पदस्थापन में विषयवार पढ़ाई का ध्यान नहीं रखकर उनकी सुविधा का ध्यान रखा गया। इसके कारण कहीं केवल संस्कृत पढ़ाने वाले तो कहीं केवल उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक ही पदस्थापित हो गए। आज के आधुनिक युग में यदि गणित विज्ञान और सामाजिक अध्ययन जैसे विषय बच्चे को नहीं पढ़ाए जाएंगे तो फिर उनके भविष्य का क्या होगा।
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कोट:::::
पहले जो गलती हो गई, वह हो गई। अब विषय वार शिक्षकों का पदस्थापन किया जा रहा है। जिस स्कूल में शिक्षकों की कमी है, वहां भी पदस्थापन हो रहा है। हम लोग ध्यान रखते हैं कि कम से कम शिक्षक पांच विषय के हो।
डॉ. महेश प्रसाद सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी, दरभंगा।
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