दो रचनाकारों के सम्मान से मिथिलांचल में खुशी
दरभंगा । मैथिली भाषा में रचित बाल कथा खिस्सा सुनू बाउ व कविता वर्णित रस संग्रह के रचनाकार को साहित्य
दरभंगा । मैथिली भाषा में रचित बाल कथा खिस्सा सुनू बाउ व कविता वर्णित रस संग्रह के रचनाकार को साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने पुरस्कार से सम्मानित किया है। इससे मिथिलांचल में खुशियों की लहर दौड़ गई है। बाल कथा संग्रह खिस्सा सुनू बाउ के रचनाकार वैद्यनाथ झा सीतामढ़ी जिले के रूदौली गांव के निवासी हैं। उनका जन्म व शिक्षा उत्तरप्रदेश के वाराणसी में हुई। बावजूद, उनका मैथिली से गहरा लगाव रहा। केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक पद पर रहते हुए और सेवानिवृति के पश्चात मैथिली के प्रति उनकी रूचि समान रही। यही कारण रहा कि मैथिली भाषा में उनकी कई पुस्तकें हैं। साथ में उन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में भी अपने नाम का डंका बजाने का काम किया है। वर्तमान में वे हरियाणा के गुड़गांव में रहते हैं। हिन्दी में रचित बाल कथा संग्रह : छतरी में छेद काफी चर्चित रहा। इसके अलावा पंजाबी से मैथिली भाषा में उन्होंने कथा संग्रह रावी से बागमती धरि, पंजाबी उपन्यास पेमा को ¨हदी में, पंजाबी भाषित अग्नि कलश को ¨हदी में अनुवाद कर साहित्य की दुनिया में काफी नाम कमाया। वहीं मधुबनी जिले के लौकही थाने क्षेत्र के औरहा गांव निवासी उमेश पासवान के कविता संग्रह वर्णित रस के रचना पर युवा पुरस्कार से अकादमी ने सम्मानित किया है। मैथिली भाषा में दो रचनाकार को अकादमी की ओर से वर्ष 2018 में पुरस्कार से सम्मानित किए जाने से मैथिली भाषा के साहित्यकारों को काफी बल मिला है। कई दोनों रचनाकार को फोन पर साधुवाद भी दिया।