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बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधी राखी

भाई-बहन के बीच प्यार और दुलार से भरा त्योहार राखी रविवार को शहर से लेकर गांव तक मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 12:19 AM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 12:19 AM (IST)
बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधी राखी
बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधी राखी

दरभंगा। भाई-बहन के बीच प्यार और दुलार से भरा त्योहार राखी रविवार को शहर से लेकर गांव तक मनाया गया। इस मौके पर बहनों ने भाई की कलाई पर प्यार की डोर बांध उनसे अपनी रक्षा का प्रण लिया। वहीं, भाइओं ने बहनों को कई उपहार प्रदान किए। राखी को लेकर बहनें सुबह से ही भाइयों की कलाई पर डोर बांधने के लिए उनके पीछे-पीछे भाग रही थी।इधर, भाई बहनों को चिढ़ाने के लिए इधर-उधर के बहाने बना रहे थे। कभी मनौवल के बाद भाई नहाकर राखी बंधवाने को तैयार हुए। शुभ मुहुर्त में बहनों ने भाइयों को राखी बांध कर उनका मुंह मीठा कराया। इससे पहले शनिवार की रात से ही बहनें लजीज पकवान बनाने में जुटी रहीं। एक से बढ़कर एक पकवान से पूरा घर सुंगधित हो रहा था। दूर-दराज से घर आने वाले भाइओं का देर रात तक घर पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। कई लोग तो सुबह तक घर पहुंचे। घर पर राखी बंधवाने के बाद लोग अपने रिश्तेदारों के घर की ओर निकल पड़े। पूरे दिन सड़कों पर युवाओं की टोली झुंड में मस्ती करती नजर आई। कई लोग अपनी बहनों से राखी बंधवाने उनके ससुराल गए। वहीं, कई महिलाएं अपने ससुराल से मायके पहुंची।

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वृक्ष-बंधन कर मनाई राखी

लहेरियासराय के लक्ष्मीपुर मोहल्ला में अमित कुमार चौधरी ने अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर वृक्षों को राखी बांधी। साथ ही साथ पेड़ों के संरक्षण का भी संकल्प लिया। इसके साथ रक्षाबंधन और पेड़-लगाओ, जीवन-बचाओ का सामाजिक संदेश भी दिया। परिवार के लोगों ने बताया कि पेड़ों को राखी बांधकर जीवन भर उनकी रक्षा का संकल्प लिया गया।

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कइयों की सूनी रही कलाई

यूं तो हर कोई राखी का त्योहार अपने परिवार के साथ मनाता है, लेकिन मजबूरीवश कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने राखी का त्योहार अकेलेपन के बीच मनाया। केवल मन से अपनी बहन को ढ़ेर सारा प्यार और उसकी सलामती की दुआएं दी। डीएमसीएच में इलाज को भर्ती कई मरीजों की कलाई इस मौके पर सूनी दिखाई दी। कुशेश्वरस्थान के संदीप महतो, तारडीह के रमन कुमार कर्ण, बहादुरपुर के संजीव मिश्र, कमतौल के चुल्हाई ठाकुर आदि ने बताया कि बीमारी के कारण घर जाने में अस्वस्थ्य हूं। बहन ससुराल में आने का इंतजार कर रही है। फोन पर भी उसे ढ़ेर सारी दुआएं और उसकी रक्षा का प्रण लिया।

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कहते हैं भाई-बहन

राखी का इंतजार पूरे वर्ष भर रहता है। इसके लिए घर आने का पहले से ही प्ला¨नग करती हूं। इस बार भी घर आने का टिकट पहले ही ले लिया था। लेकिन कुछ दिन पूर्व ऐसा लगा कि घर जाना मुश्किल है। गोरखपुर से जैसे-तैसे अपने गांव कमतौल पहुंची हूं। काफी अच्छा लग रहा है घर आकर भाई की कलाई पर डोर बांधना।

ममता मिश्रा।

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शादी के बाद तो घर की जिम्मेदारियां महत्वपूर्ण हो जाती है। ऊपर से बच्चों का स्कूल खुला रहने के कारण कहीं भी आने-जाने के लिए सोचना पड़ता है। हर वर्ष राखी के मौके पर घर जाती हूं। इस बार कैसे छोड़ सकती थी। फ्लाइट पकड़कर लखनऊ से पटना के रास्ते घर पहुंची हूं। भाई भी कश्मीर से इस मौके के लिए घर आया हुआ है।

सुभाषिनी झा।

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नासिक से राखी बंधवाने के लिए दरभंगा आया हूं। नौकरी के दौरान छुट्टी मिलने में काफी परेशानी होती है। पहले से ही छुट्टी का आवेदन दिया था। लेकिन उसे कैंसिल कर दिया गया। किसी तरह बॉस को मनाकर बहन से राखी बंधवाने आया हूं। एक दिन की छुट्टी ही मिली है।

रंजीत मिश्रा।

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राखी साल में एक बार आती है। यहीं एक ऐसा पर्व है जब सब भाई-बहन एक जगह जमा होते है। पढ़ाई के दौरान एक दिन की भी छुट्टी मायने रखती है। ऊपर से आने-जाने में काफी परेशानी होती है। बावजूद बहन का प्यार हर वर्ष घर की ओर खींच लाता है।

राजेश झा।

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बह्मकुमारी बहनों ने विधायकों को बांधी राखी

राखी के मौके पर बह्मकुमारी आरती बहन ने खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री मदन सहनी, डीआईजी विनोद कुमार, नगर विधायक संजय सरावगी व हायाघाट विधायक अमरनाथ गामी की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की दुआ की। आरती बहन से विधायकों के घर जाकर उनको राखी बांध उनको तिलक लगाय


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