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क्विज-चित्रांकन में बच्चों ने दिखाया हुनर

कलम-दवात के देवता माने जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा गुरुवार को धूमधाम और आस्था के साथ शुरु हो गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 12:38 AM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 12:38 AM (IST)
क्विज-चित्रांकन में बच्चों ने दिखाया हुनर
क्विज-चित्रांकन में बच्चों ने दिखाया हुनर

दरभंगा। कलम-दवात के देवता माने जाने वाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा गुरुवार को धूमधाम और आस्था के साथ शुरु हो गई। दरभंगा चित्रगुप्त सभा की ओर से चित्रगुप्त भवन (क्रेज डाल्वी हॉल) में इस बार 105वीं पूजा का आयोजन किया गया है। पूजा के पहले दिन चित्रांश बच्चों के बीच क्वीज और चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कायस्थ समाज के बच्चों ने बड़ी संख्या में इस प्रतियोगिता में भाग लिया। वहीं शाम में बच्चों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। अपने प्रस्तुतियों से छोटे-छोटे बच्चों ने ऐसा समां बांधा कि लोग वाह-वाह कर उठे। चार दिवसीय पूजा समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को भी शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। तीसरे दिन शनिवार को दिन में महिला संभाग की ओर से कार्यक्रम, चित्रांश मिलन सह सम्मान समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम, जबकि चौथे दिन रविवार को दिन में पुरस्कार वितरण, प्रतिभा शोभा यात्रा और भाई-भोज के उपरांत पूजा समारोह का समापन होगा। इस मौके पर दरभंगा चित्रगुप्त सभा के अध्यक्ष नर्वदेश्वर नाथ, उपाध्यक्ष पुनीत कुमार सिन्हा, प्रधान सचिव निशा शरण सिन्हा, संयुक्त सचिव डॉ. मनीष कुमार, अश्वनी कुमार वर्मा, कोषाध्यक्ष आनंद मोहन सिन्हा, पूर्व प्रधान सचिव नवीन सिन्हा, निर्मल कुमार ¨सहा, मनोज कुमार श्रीवास्तव, स्वराज कुमार राजू, इंद्र कुमार सुमन, आरके दत्ता, र¨वद्र कुमार ¨सहा, प्रकाश चंद्र प्रभाकर, कुमार विमलेश, मनीष कुमार, सहित दरभंगा शहर के कई चित्रांश उपस्थित थे।

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1914 से लगातार हो रही पूजा

चित्रगुप्त सभा का इतिहास 102 साल पुराना है। 1914 में कायस्थ समाज के कई लोगों के सहयोग से दरभंगा चित्रगुप्त सभा की स्थापना की गई और उसी वर्ष से शहर के शुभंकरपुर में चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत की गई। सभा के संस्थापकों में से एक अधिवक्ता बाबू लक्ष्मण प्रसाद ने वर्तमान क्रेज डाल्वी हॉल भवन का निर्माण करवाया। इसे चित्रगुप्त भवन नाम दिया गया। 1935 से पूजा का आयोजन इस भवन में होने लगा। बिहार सरकार से 7 मई 1946 को सभा का निबंधन कराया गया। भवन निर्माण के समय ही यह तय कर लिया गया था कि अगर भवन किसी को लीज पर दिया जाता है तो साल में चार दिन पूजा के लिए भवन को खाली करना पड़ेगा।


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