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महिलाओं को आत्मनिर्भर बना शोभा ने नारी सशक्तीकरण को किया बुलंद

महिला सशक्तीकरण को एक आयाम दे रही शोभा शुक्ला का नाम आज जिले की प्रताड़ित-शोषित महिलाओं की जुबां पर है। लहेरियासराय थाना परिसर में पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए बने महिला होम में ये वर्तमान में कार्यरत हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 12:29 AM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 06:28 AM (IST)
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना शोभा ने नारी सशक्तीकरण को किया बुलंद
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना शोभा ने नारी सशक्तीकरण को किया बुलंद

दरभंगा । महिला सशक्तीकरण को एक आयाम दे रही शोभा शुक्ला का नाम आज जिले की प्रताड़ित-शोषित महिलाओं की जुबां पर है। लहेरियासराय थाना परिसर में पीड़ित महिलाओं की सहायता के लिए बने महिला होम में ये वर्तमान में कार्यरत हैं। यहां आने वाली पीड़ित महिलाओं को संस्था की ओर से मुहैया सुविधाएं उपलब्ध कराने में सक्रिय योगदान देती है। पीड़ित महिला का मनोबल बढ़ाती है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाकर सशक्त बनने में मदद करती हैं। महिलाओं के बीच शुक्ला दीदी के नाम से विख्यात हो चुकी शोभा शुक्ला स्वयं भी विषम परिस्थितियों में ही निखरी है। शहर के वार्ड 11 स्थित जुरावन सिंह लालबाग मोहल्ला निवासी शोभा को सामाजिक कार्यो की प्रेरणा अपने पिता स्व. श्रीनारायण शुक्ला से मिली। 1987 में मैट्रिक पास करने के बाद जब आगे की पढ़ाई के लिए अपना नामांकन एमआरएम कॉलेज में कराया तो इनका विरोध घर की महिलाओं ने किया, लेकिन पिता से प्रोत्साहन पाकर शोभा के पढ़ाई के सपनों को पंख लग गए। फिर राष्ट्रीय सेवा योजना की महाविद्यालय इकाई से जुड़कर पढ़ाई के साथ-साथ सोशल कार्य भी करने लगी। एनसीसी की ट्रेनिग ली और उस दौर में जब साइकल चलाना भी गुनाह समझा जाता था, तब शोभा लड़कों के कपड़े पहनकर साइकल से महाविद्यालय जाया करती थी। इसके कारण उन्हें सामाजिक प्रताड़ना का दंश भी सहना पड़ा। घर-बाहर दोनों जगह से प्रताड़ना झेलने के बाद भी इन्होंने सामाजिक गतिविधियों का संचालन जारी रखा। तत्कालीन समाज में महिलाओं की दयनीय स्थिति देखकर शुक्ला ने महिला उत्थान का पहला प्रयास 1990 में किया। महाविद्यालय में समाजशास्त्र की अध्यापिका रही डॉ. शैल कुमारी की मदद से सहपाठी लड़कियों की टीम बनाकर अनपढ़ महिलाओं में जागृति लाने में जुट गई। 1995 में समाजशास्त्र से स्नातक उतीर्ण करने के साथ ही शोभा शुक्ला की शादी खगड़िया जिले के संजय तिवारी से हो गई। शादी के बाद पति के दवाब में और घर-परिवार की उलझनों में ना सिर्फ शोभा की पढ़ाई छूट गई, बल्कि इनकी सामाजिक गतिविधियों पर भी विराम लग गया। फिर पति की सहमति से अलग होकर अपने दो पुत्र और एक पुत्री के साथ शोभा मायके में रहने चली आई। मायके के लोगों ने शोभा का साथ दिया और जीवनयापन के लिए बुटिक का संचालन करने लगी। आत्मनिर्भर बनकर शोभा अपने तीनों बच्चों का लालन-पालन आसानी से कर रही है। दूसरों की मदद करने की भावना से प्रेरित शोभा अन्य महिलाओं के मदद अभियान में भी जुटी रही है। नतीजतन बुटिक संचालन के दौरान ही स्वयंसेवी संस्था डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के निदेशक डॉ. प्रभात दास रंजन दास की प्रेरणा से इन्होंने बेसहारा महिलाओं का समूह बनाया और आत्मनिर्भरता की डगर पर चल पड़ी। पुराने-बेकार कपड़ों से खिलौना बनाना, पापड़ निर्माण, सिलाई-कढ़ाई, मिथिला पेंटिग आदि के जरिए महिला सशक्तीकरण का अलख जगाने लगी। महिलाओं को बिना दहेज की शादी, शिक्षित और हुनरमंद बनाने पर शोभा का ध्यान केंद्रित रहा है। इनकी प्रेरणा से दर्जनों महिलाएं अपना जीवन-यापन कर रही है। फिर जिले में जनप्रतिनिधियों को ट्रेनिग देने के लिए शोभा का पहली जिलास्तरीय महिला ट्रेनर के रूप में चयन हुआ। जिसके तहत इन्होंने वार्ड पार्षद, मुखिया, सरपंच, जिप सदस्य आदि को ट्रेनिग देकर राज्यस्तरीय मास्टर ट्रेनर बन गई। 2016 में भारत सरकार के द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया गया तो जिले के तारडीह प्रखंड के लगमा एवं सिंहवाड़ा प्रखंड के माधोपुर पंचायत को ओडीएफ करवाने में भी अहम योगदान दिया।

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