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संस्कृत विश्वविद्यालय ने शुरू की देववाणी के संरक्षण-संवर्धन की पहल

अगले तीन माह में संस्कृत विश्वविद्यालय में होंगे कई राज्य व राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम - छात्रों व शिक्षकों को प्रोत्साहित करने व प्लेटफार्म प्रदान करने की दिशा में प्रयास जारी ------------------- कोट हमारा प्रयास है कि शैक्षणिक गतिविधियों में वृद्धि हो और छात्रों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़े। साथ ही संस्कृत में समाहित ज्ञान की अमूल्य धरोहर की सुरक्षा हो। इसके लिए कई कार्यक्रम तैयार हो रहे हैं। विश्वविद्यालय के पास मौजूद करीब 55 सौ पांडुलिपियों का कैटलॉग भी हम प्रकाशित करने जा रहे हैं। दीक्षा समारोह के दौरान इसका लोकार्पण करने की योजना है। छात्रों व शिक्षकों को प्रोत्साहित करने व प्लेटफार्म प्रदान करने की दिशा में हम लगातार प्रयासरत है। - प्रो. सर्व नारायण झा कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 11:52 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 06:28 AM (IST)
संस्कृत विश्वविद्यालय ने शुरू की देववाणी के संरक्षण-संवर्धन की पहल
संस्कृत विश्वविद्यालय ने शुरू की देववाणी के संरक्षण-संवर्धन की पहल

दरभंगा। प्राच्य विद्या को समर्पित कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को सफलता के नए आयाम देने की कवायद शुरु कर दी गई है। देववाणी संस्कृत के संरक्षण व संवर्धन के उद्देश्य से स्थापित इस विश्वविद्यालय की दिन-प्रतिदिन बदहाल हो रही स्थिति में बदलाव लाने और संस्कृत भाषा के प्रति छात्रों व समाज का रुझान बढ़ाने के उद्देश्य से कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत अगले तीन माह में विश्वविद्यालय कई नए प्रयोग करने जा रहा है। एक तरफ विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना का विकास हो रहा है, वहीं दूसरी ओर शैक्षणिक विकास के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में लुप्त हो चुकी शास्त्रार्थ की परंपरा को भी जीवंत किया गया है। वर्तमान कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा के नेतृत्व में विश्वविद्यालय मुख्यालय से शास्त्रार्थ की शुरूआत की गई और राजभवन में भी इसका सफल आयोजन किया गया जिसने आम लोगों से लेकर सरकार तक का ध्यान इस प्राचीन भाषा के विकास की ओर आकृष्ट कराया है। विश्वविद्यालय मुख्यालय के एतिहासिक भवन लक्ष्मीविलास पैलेस के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त हो चुका है। इन सारी कवायदों का उद्देश्य संस्कृत की समाज व छात्रों के बीच लोकप्रियता को बढ़ाना है, ताकि इस प्राचीन भाषा में सहेजे ज्ञान की अमूल्य थाती को भावी पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके।

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तीन माह की बनी कार्ययोजना :

कुलपति प्रो. झा के अनुसार अगले तीन माह में बारी-बारी से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस क्रम में विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर की संस्कृत स्पर्धा कराने जा रही है। इसमें दूसरे राज्यों के छात्र व शिक्षक भाग लेंगे। इस स्पर्धा का उद्देश्य यहां के छात्रों को यह दिखाना है कि संस्कृत की अन्य प्रदेशों में क्या स्थिति है और संस्कृत के विकास के लिए हम किस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर समेकित प्रयास कर सकते हैं। इस प्रतियोगिता के तहत शास्त्रार्थ, भाषण, वाद-विवाद, नृत्य, गीत आदि शामिल रहेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम यह आकलन कर सकेंगे कि विश्व में संस्कृत के क्षेत्र में बिहार किस जगह खड़ा है। इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि यहां कि विद्वान यह जान सकें कि देश-दुनिया में संस्कृत की क्या स्थिति है।

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प्रधानाचार्यों व छात्रों के लिए होगी कार्यशाला :

यहां के छात्रों व प्रधानाचार्यों के लिए कार्यशाला का आयोजन भी योजना में शामिल है। यह दो दिवसीय कार्यशाला होगी जो कुल सोलह घंटों की होगी। इसके दौरान छात्र व शिक्षक केवल संस्कृत भाषा का ही प्रयोग बोलचाल में करेंगे। संस्कृत को आधुनिक शिक्षा से किस तरह तालमेल बैठाया जाए ताकि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को रोजगार के सुलभ अवसर मिले, इसे ध्यान में रखते हुए अभियंत्रण संस्थानों व अन्य विश्वविद्यालयों से सहयोग स्थापित कर कई कार्यक्रम करने की प्लानिग चल रही है। केंद्र की फिट इंडिया योजना को अमलीजामा देते हुए विश्वविद्यालय में राज्य स्तरीय क्रीड़ा स्पर्धा भी आयोजित कराई जाएगी। इसके लिए राज्य भर में फैले संस्कृत विश्वविद्यालय के कॉलेजों से खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा।

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पूर्ववर्ती छात्रों को सम्मानित करेगा विवि :

संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र आज देश-दुनिया में अपनी सफलता का परचम लहरा रहे हैं। उन्हें लंबे समय बाद एक बार फिर अपने विश्वविद्यालय आने और पूराने दिनों को स्मरण करने का मौका दिया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय में पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन आयोजित कराया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय लोग भी जान सकेंगे कि हमारे छात्र कहां-कहां और किन-किन पदों पर है। बाहर से आने वाले पूर्ववर्ती छात्रों के सुझावों पर भी विश्वविद्यालय अमल करेगा। साथ ही उनसे विश्वविद्यालय को आर्थिक सहयोग भी प्राप्त होगा।

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