शोधार्थी नहीं करें साहित्यों की चोरी : शिल्पी वर्मा
दरभंगा। आइसीएसएसआर संपोषित 10 दिवसीय कार्यशाला के चौथे दिन शनिवार को लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुस्तकालय व सूचना विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शिल्पी वर्मा ने तथ्य संकलन व प्रकाशन की प्रक्रिया के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला।
दरभंगा। आइसीएसएसआर संपोषित 10 दिवसीय कार्यशाला के चौथे दिन शनिवार को लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पुस्तकालय व सूचना विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शिल्पी वर्मा ने तथ्य संकलन व प्रकाशन की प्रक्रिया के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में आयोजित सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान पद्धति शास्त्र पर आयोजित कार्यशाला में शनिवार को प्रो. वर्मा ने कहा कि अनुसंधान की सफलता तथ्य संकलन पर निर्भर है। तथ्य संकलन पक्षपात रहित होना चाहिए। तथ्यों को परिभाषित करते हुए तथ्यों व सूचना के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए उन्होंने इसके संकलन के विभिन्न प्रविधियां उपकरणों की जानकारी शोध छात्रों को दी। डॉ. वर्मा ने कहा कि तथ्यों के संकलन मे इस बात की सावधानी आवश्यक है कि अलग-अलग प्रकार के तथ्यों का संकलन अलग-अलग प्रविधि से हो। उन्होंने साहित्यों की चोरी से सावधान करते हुए कहा कि इस क्रम में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों ने सावधानी के लिए अनेक तकनीकी की स्थापना की है। इसलिए आवश्यक है कि शोध छात्र ना तो स्वयं नकल करें और ना तो आपके तथ्यों का नकल हो। इसके लिए जागरूक रहें। प्रो. वर्मा ने प्रकाशन प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए कहा कि शोध के दौरान व शोध के बाद लेख व पुस्तक प्रकाशन आवश्यक है। इसमें सहायक संस्था व प्रकाशन स्थलों की जानकारी दी। कहा कि हर प्रकाशन संस्थान के अपने-अपने नियम है, जिसकी जानकारी भी शोधार्थियों को रखनी होगी। प्रकाशन से पूर्व सहकर्मी समीक्षा व प्रूफ रीडिग आवश्यक होना चाहिए। कार्यशाला में प्रो. गोपी रमण प्रसाद सिंह, डॉ. सरोज चौधरी, डॉ. संजीव झा, डॉ. परमानंद, डॉ. मंजू झा, डॉ. लक्ष्मी, डॉ. शंकर कुमार लाल आदि मौजूद थे।