दूरस्थ शिक्षा ऋषि परंपरा, अंत का नहीं परिणाम का कराता बोध : प्रो. सर्व नारायण
जब कभी दूरस्थ शिक्षा की बात होती है तो भारत ही नहीं विदेशों में भी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय का अनुकरण किया जाता है।
दरभंगा । जब कभी दूरस्थ शिक्षा की बात होती है तो भारत ही नहीं, विदेशों में भी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय का अनुकरण किया जाता है। यह देश के लिए गौरव की बात है। ऐसी संस्था से प्रमाण पत्र हासिल करना छात्रों के लिए काफी महत्व रखता है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बुधवार को इग्नू क्षेत्रीय केंद्र पर आयोजित दीक्षा समारोह में यह बातें कही। दीक्षा भाषण के दौरान प्रो. झा ने इसके अर्थ पर प्रकाश डालते कहा कि दीक्षा अंत या समाप्ति का नहीं, बल्कि परिणाम का बोध कराता है। यह उत्सव का अवसर होता है। कहा कि दूरस्थ शिक्षा ऋषि परंपरा है, वर्तमान में इसका स्वरूप समयानुकूल है। बिना शिक्षक के अध्ययन करना ही दूरस्थ माध्यम है। पाठ्य सामग्री भी गुरु का स्वरूप होता है। दूरस्थ शिक्षा को कुलपति ने पौराणिक कथाओं व उपनिषद की कसौटी पर व्याख्या करते हुए कहा कि ऐसा अध्यापक या सामग्री जो प्रामाणिक है, उसे श्रद्धापूर्वक ग्रहण करने से सफलता सुनिश्चित है। जरूरी नहीं कि टॉप करने वाला ही आगे बढ़ेगा। सर्वोच्च पद पर जाने के लिए माइंड व इंटेलेक्ट के बैलेंस की जरूरत होती है। हमें अतीत की विफलताओं को भूल कर अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिसके मन पर बुद्धि का नियंत्रण जितना अधिक होगा, वह उतना ही बड़ा आदमी बनेगा। कुलपति ने समारोह में प्रमाण पत्र पाने वाले सभी छात्र-छात्राओं को भविष्य की शुभकामनाएं दी।
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3506 छात्रों को मिली डिग्री :
दीक्षा समारोह में कुल 3506 छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र दिए गए। इनमें 1578 छात्रों को स्नातकोत्तर, 1665 छात्रों को स्नातक, 202 छात्रों को डिप्लोमा या पीजी डिप्लोमा और 61 छात्रों को सर्टिफिकेट कोर्स का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ। क्षेत्रीय केंद्र पर समारोह शुरू होने से पूर्व इग्नू के दिल्ली स्थित मुख्यालय पर आयोजित दीक्षा समारोह का सीधा प्रसारण किया गया। वहां समारोह की समाप्ति के बाद यहां शुरू किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राजीव कुमार ने किया। समारोह में सहायक कुलसचिव राजेश कुमार कर्ण, डॉ. अभय पाठक, डॉ. प्रभाकर पाठक, डॉ. जितेंद्र नारायण, डॉ. मोहन मिश्रा, डॉ. विनोद बैठा, ई. चंद्रकिशोर यादव आदि मौजूद रहे।
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सिस्टम लीडर के रूप में जाना जाता है इग्नू :
क्षेत्रीय निदेशक डॉ. शंभु शरण सिंह ने कहा कि इग्नू को पूरे विश्व में सिस्टम लीडर के रूप में जाना जाता है। इग्नू की प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है। पाठ्य सामग्री दिल्ली से दी जाती है। वर्तमान में इग्नू के 239 कार्यक्रम, 67 क्षेत्रीय केंद्र व 3500 अध्ययन केंद्र संचालित हैं जिनमें 30 लाख विद्यार्थी नामांकित हैं। क्षेत्रीय केंद्र का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए निदेशक ने कहा कि गत वर्ष में पांच जिले बेगूसराय, बेतिया, मधुबनी, गोपालगंज व मुजफ्फरपुर के कारागारों में विशेष अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है। स्वास्थ्य संबंधी रोजगारपरक अध्ययन केंद्रों की स्थापना के लिए सदर अस्पताल, मधुबनी एवं गोपालगंज के प्रस्ताव मुख्यालय भेजे गए हैं। समस्तीपुर व मुजफ्फरपुर के सदर अस्पतालों के प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। क्षेत्रीय केंद्र पर मॉडल अध्ययन केंद्र स्थापना का प्रस्ताव मुख्यालय में विचाराधीन है। क्षेत्रीय केंद्र के अंतर्गत जुलाई 2018 व जनवरी 2019 सत्र में कुल नामांकित एवं पंजीकृत छात्रों की संख्या 16933 है। परीक्षा केंद्र की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 कर ली गई है।