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शास्त्री की पढ़ाई अब सीबीसीएस मोड में

कमतौल स्थित प्लस टू जे एम उच्च विद्यालय के मैदान में कमतौल क्त्रिकेट क्लब द्वारा आयोजित पुरूष एकादश क्त्रिकेट प्रतियोगिता के दूसरे सेमीफाइनल मैच में सोमवार को मरवा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुये निर्धारित 16 ओवर में 10 विकेट खो कर कुल 127 रन बनाये।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 01:28 AM (IST)Updated: Tue, 12 Dec 2017 01:28 AM (IST)
शास्त्री की पढ़ाई अब सीबीसीएस मोड में
शास्त्री की पढ़ाई अब सीबीसीएस मोड में

दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में सोमवार को दरबार हॉल में आयोजित विद्वत परिषद की बैठक कई मामलों में ऐतिहासिक रही। कुलपति डॉ. सर्व नारायण झा की अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। अब संसकृत विवि में स्नातक स्तर पर सीबीसीएस सिस्टम लागू किया जाएगा। जिसके लिए बहुत पहले से प्रयास हो रहा था। बदलते शैक्षणिक माहौल में एकरूपता लाने के ख्याल से सीबीएसई के पैटर्न पर अब उपशास्त्री की फाइनल परीक्षा 500 अंकों की ही होगी। पीआरओ निशिकात ने बताया कि यह व्यवस्था सत्र 2017-19 से लागू हो जाएगी। इसके पूर्व यह परीक्षा एक हजार अंकों की होती थी। यानी अब पूर्णाक एक हजार के बदले सिर्फ 500 ही रहेंगे। इतना ही नहीं ग्यारहवीं यानी उपशास्त्री पहले वर्ष में भी अब कॉलेज स्तर पर 500 नंबर की आतरिक परीक्षा ली जाएगी। अभी तक यह व्यवस्था नहीं थी। इसी तरह उपशास्त्री दूसरे वर्ष यानी फाईनल परीक्षा 500 अंकों की विश्वविद्यालय की ओर से ली जाएगी। निर्णय हुआ कि फाइनल परीक्षा के लिए फॉर्म भरने के समय 11वीं का अंक पत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा। वहीं दूसरी ओर तय हुआ कि अगर पाच अंकों से कोई छात्र फेल हो रहा है या फिर उसका डिवीजन छूट रहा है तो उसे इतने अंकों का कृपाक दिया जा सकता है।

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दो पत्रों को किया गया विलोपित :

उपशास्त्री परीक्षा में पूर्णाकों को कम करने के लिए संस्कृत सामान्य व दसवें पत्र व्यावसायिक विषयों को विलोपित कर दिया गया। इसी तरह पहले व दूसरे शास्त्री विषयों के साथ पाचवें पत्र आधुनिक विषयों के पूर्णाकों को घटना पड़ा है। इस तरह कुल 500 अंकों की कमी की गई है। वैसे एक सौ अंक का ऐच्छिक विषय भी छात्र रख सकता है। पाठ्यक्त्रम निर्माण समिति के सदस्य रमेश्वरलता संस्कृत कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश्वर यादव ने बैठक में इस पूरी नई व्यवस्था पर विस्तार से प्रकाश डाला।

च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम होगा लागू : विद्वत परिषद ने शास्त्री के पाठ्यक्त्रमों में भी आमूल परिवर्तन करने का निर्णय लिया। अब च्वाइस बेस्ड क्त्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) यानी पसंद आधारित पाठ्यक्त्रम पद्धति के अनुसार ही शास्त्री पहले वर्ष 2017-18 से शास्त्री की पढ़ाई व परीक्षा होगी। पहले तीन वषरें में कुल 1800 अंकों की परीक्षा होती थी। जो अब तीन वषरें में ही कुल छह सेमेस्टर की यानी छह माह में एक परीक्षा ली जाएगी। कुल 140 क्त्रेडिट में शास्त्री की पढ़ाई होगी और परीक्षा 2400 अंकों की होगी। मूल पाठ्यक्त्रम में पहली बार कौशल विकास यानी स्किल डेवलपमेनंट के लिए भी कुल 100 अंकों की व पर्यावरण अध्ययन के लिए 50 अंकों की पढ़ाई होगी। साथ ही पहले सेमेस्टर में ही 50 अंकों का मॉडर्न इंडियन लैंगुएज यानी आधुनिक भारतीय भाषा भी छात्रों को पढ़ना होगा।

सेमेस्टर के हिसाब से अंकों का निर्धारण :

पहले व दूसरे सेमेस्टर में 450-450 अंक, तीसरे व चौथे सेमेस्टर में 400- 400 अंक व पाचवें व छठे सेमेस्टर में 350- 350 अंकों की परीक्षा होगी। मौके पर डॉ. सुरेश्वर झा, डॉ. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. दिनेश्वर यादव, डॉ. रविशकर झा व मिथिला संस्कृत कालेज, संकटमोचन धाम के प्रधानाचार्य को मिलाकर एक स्टेंडिंग कमेटी बनाई गई। यह कमेटी विद्वत परिषद के लिए उत्तरदायी होगी। निर्णय हुआ कि छोटे मामले या फिर आवश्यकतानुसार विद्वत परिषद की प्रत्याशा में स्टेंडिंग कमेटी के माफऱ्त ही मामले सुलझाए जाएंगे।

ग्रेडिंग से होगा परीक्षाफल :

शास्त्री में अब सीबीएसई की तरह ग्रेडिंग सिस्टम से परीक्षाफल निकाला जाएगा। यानी अब अंक पत्रों पर प्रथम या द्वितीय श्रेणी नहीं लिखी रहेगी। 40 फीसदी से कम अंक लाने वाले को एफ, 40-45 प्रतिशत वाले को पी, 46-55 वाले को सी, 56-65 वाले को बी, 66-75 वाले को बी-1, 76-85 वाले को ए, 86-95 वाले को ए-1 व 96 से 100 फीसद अंक लाने वाले को एच से ग्रेडिंग की जाएगी। प्रोवीसी डॉ. सीपी सिंह, डीन डॉ. शिवाकात झा, सीसीडीसी डॉ. श्रीपति त्रिपाठी, कुलसचिव डॉ. शिवलोचन झा, डॉ. प्रजापति त्रिपाठी, डॉ. बौआ नन्द झा, डॉ. शशिनाथ झा, डॉ. विद्येश्वर झा समेत कई प्रधानाचायरें के साथ अन्य सदस्य मौजूद थे।


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