सर संघचालक मोहन भागवत बोले- जिनके देश की दुनिया में प्रतिष्ठा नहीं उनको तीनों भुवनों में सुख नहीं
Bihar News दरभंगा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख ने किया राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किए जा रहे संघ के कार्यों का शंखनाद कहा- भारत की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ी तो विदेशों में रहनेवाले अपने लोग सिर ऊंचा करके चलने लगे।
दरभंगा, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि हमको स्वयं को सुखी होना है, हमारे कुटुंब को सुखी रखना है तो अपने देश को सुखी रखना पड़ेगा। जिनका देश सुखी नहीं है। जिनका देश सुरक्षित नहीं है। जिनके देश की दुनिया में प्रतिष्ठा नहीं है उनको तीनों भुवनों में कहीं पर भी प्रतिष्ठा सुरक्षा और सुख नहीं मिलता है। अकेले अपने सुख के लिए कितने भी मेहनत करें। अपने परिवार को कितना भी आगे बढ़ा लें, लेकिन जिस समाज से वह व्यक्ति हैं उस समाज की सुरक्षा, उसकी प्रतिष्ठा यहीं उनको सुरक्षित और प्रतिष्ठित बनाती है। यह एक व्यावहारिक अनुभव है। जब भारत की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ी तो विदेशों में रहने वाले अपने लोग अपना सर ऊंचा करके चलने लगे। क्योंकि हम अपने स्वार्थ को भी स्वीकार करते हैं तो भी हमको अपने समाज को राष्ट्र को सुरक्षित प्रतिष्ठित रखना ही होगा। इसलिए इसको ध्यान में रखकर अपना और अपने परिवार का जीवन जीना पड़ता है।वो सोमवार की सुबह दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के डा. नागेंद्र झा स्टेडियम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर एकत्रीकरण कार्यक्रम में स्वयं सेवक व समाज के बुद्धिजीवियों को संबोधित कर रहे थे।
हमेशा आगे बढ़ते रहने को किया प्रेरित
संघ प्रमुख ने कहा जिन बातों की कोई शानी नहीं है, उनको जो प्रचलित पद्धति है किसी भी चीज को जानने की उसी से समझते हैं। अंग्रेजी में कहते हैं फ्राम नोन टू अननोन। ऐसा जिसे समझ न सकें। उसके जैसा वहीं रहता है। दूसरा उसकी तुलना के लिए कुछ नहीं है। तो आकाश कैसा है, उसके जितना बड़ा दूसरा आकाश नहीं है, उसके जैसा वहीं है। सागर कैसा है तो उसके जैसा बड़ा जलाशय कोई दूसरा नहीं है। राम रावण का युद्ध हुआ, उसके जैसा कोई दूसरा युद्ध नहीं हुआ। इसलिए यह जानकर भी की दरभंगा शाखा बहुत पुरानी है, लेकिन पहली बार आए स्वयं सेवकों की नई भर्ती हुई है उनके लिए भी आवश्यक है कि वो संघ को जाने। जानी हुई चीजों का भी बार-बार चिंतन मनन करना पड़ता है। क्योंकि हम जब जीवन में बढ़ते हैं तो अच्छी बातें तो सबको पता हैं। बचपन में बताई गईं हैं- क्या अच्छा है क्या बुरा है। अपने पूर्वजों ने अपने अनुभव से बताया, परंतु जब हम आगे बढ़ते हैं तो जीवन में तो कई प्रकार के आकर्षण आते हैं। कई प्रकार के संकट आते हैं। कभी अपना रास्ता थोड़ा मोड़ के आगे बढ़ना पड़ता है। ऐसी सब बाधाओं में हम क्या कर रहे हैं। कैसे हमको आगे बढ़ना है, किस दिशा में जाना है, इसका स्मरण बार-बार करना पड़ता है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या कर रहा है इसके बारे में जानना है।
संघ सबके लिए काम कर रहा
वैसे संघ क्या कर रहा है इसको बता रहा हूं- वैसे तो संघ क्या करता है सब लोग देख पाते हैं। क्योंकि संघ खुले मैदान में चलता है। आज आप देख रहे हैं सब लोग गणवेश में उपस्थित हैं। उन्होंने कुछ शारीरिक कार्यक्रम की है। ऐसे ही कार्यक्रम संघ की शाखा में नित्य होते रहते हैं। एक घंटे का सीधा-साधा सरल कार्यक्रम है। कोई बड़ी मेहनत वाला काम भी नहीं लगता। नित्य प्रति समय यह करते रहते हैं। थोड़ा बहुत परिवर्तन इसमें समय के साथ होता है रोज एक घंटा इस कार्यक्रम को करना शरीर और मन और बुद्धि को बनाता है। केवल संघ के स्वयं सेवक ऐसा बने ऐसा नहीं है। संपूर्ण समाज ही इन कार्यक्रमों के द्वारा विशिष्ट गुणों से युक्त हो यह अपेक्षा आकांक्षा लेकर संघ चल रहा है। इससे पहले संघ के विभिन्न आयाम स्वयं सेवकों ने प्रस्तुत किए। करीब तीस मिनट से ज्यादा के संबोधन में संघ प्रमुख ने समाज के एकत्रीकरण पर जोर देते हुए राष्ट्र हित को सर्वोपरी बताते हुए संघ के विस्तार की बात कही। कहा- प्रखंड के बाद अब मंडल में जाएंगे फिर गांवों तक पहुंचेंगे।