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महादान का महीना है रमजान, ईद से पहले निकालें फितरा

दरभंगा। रमजान का पाक महीना परहेजगारी का महीना माना जाता है। लोग दुनिया के हर बुरे काम से मुंह मोड़ कर एक अल्लाह की इबादत करते हैं और उसके हुक्म से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक आम दिनों में खाने-पीने वाली चीजों से भी मुंह मोड़ लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 01:29 AM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 06:11 AM (IST)
महादान का महीना है रमजान, ईद से पहले निकालें फितरा
महादान का महीना है रमजान, ईद से पहले निकालें फितरा

दरभंगा। रमजान का पाक महीना परहेजगारी का महीना माना जाता है। लोग दुनिया के हर बुरे काम से मुंह मोड़ कर एक अल्लाह की इबादत करते हैं और उसके हुक्म से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक आम दिनों में खाने-पीने वाली चीजों से भी मुंह मोड़ लेते हैं। लेकिन, यह सब व्यक्तिगत रोजेदार और अल्लाह के बीच का मामला है। रोजे का दूसरा पहलू यह है कि दुखी लोगों के दिलों को जीता जाए। उनके दिलों में हमदर्दी का जज्बा पैदा किया जाए। एक दूसरे इंसान से लोग हमदर्दी करें और उनकी मुसीबत में मदद करें। अभी कोरोना जैसी महामारी के साए में हम लोग ईद मनाने जा रहे हैं। इस बार ईद पर और भी जरूरी है कि हम लोग रमजान के महादान के फार्मूले को पूरी तरह अपने जीवन में चरितार्थ करें। निर्वाचक मोहल्ले की मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद अताउर्रहमान ने कहा है कि ईद आने ही वाली है। कोरोना जैसी खतरनाक महामारी के बीच इस बार ईद मनाई जाएगी। महामारी को रोकने के लिए मुल्क में लंबा लॉकडाउन लागू किया गया है। इसकी वजह से बहुत से लोग बेरोजगार हो गए हैं। गरीबों के समक्ष रोटी रोजी के लाले पड़ गए हैं। इसलिए, जब हम ईद मनाने की सोच रहे हैं तो जरूरी है कि हम उन गरीबों के बारे में भी सोचें, जिनके पास खाने को नहीं है, जो दाने और कपड़े को मोहताज हैं।

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