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सतीश के गांव मनोरथा में चल रही जश्न की तैयारी, पलकें बिछाएं अपने कर रहे इंतजार

बांग्लादेश जेल से 11 साल बाद रिहा सतीश जैसे ही अपने भाई मुकेश व मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन के साथ शुक्रवार की दोपहर हावड़ा जंक्शन से जनशताब्दी एक्सप्रेस में बैठकर पटना के लिए रवाना हुआ तो उसके चेहरे पर खुशी साफ-साफ झलक रही थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 02:08 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 06:33 AM (IST)
सतीश के गांव मनोरथा में चल रही जश्न की तैयारी, पलकें बिछाएं अपने कर रहे इंतजार
सतीश के गांव मनोरथा में चल रही जश्न की तैयारी, पलकें बिछाएं अपने कर रहे इंतजार

दरभंगा । बांग्लादेश जेल से 11 साल बाद रिहा सतीश जैसे ही अपने भाई मुकेश व मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन के साथ शुक्रवार की दोपहर हावड़ा जंक्शन से जनशताब्दी एक्सप्रेस में बैठकर पटना के लिए रवाना हुआ तो उसके चेहरे पर खुशी साफ-साफ झलक रही थी। दोनों भाई को ट्रेन में बैठाने के लिए सतीश के बड़े भाई हीरा चौधरी के दामाद बेगूसराय जिला के पहाड़चक निवासी व कोलकाता में रह रहे पिटू चौधरी आए थे। उन्होंने खाने-पीने का सामान देकर दोनों भाइयों को विदा किया। इधर, जैसे-जैसे ट्रेन की रफ्तार बिहार की तरफ बढ़ रही थी, वैसे-वैसे दोनों की धड़कनें तेज होती जा रही थी। वे अपने घर पहुंचने को बेकरार थे। मुकेश अपने भाई सतीश का हाथ थामे हुआ था। वहीं, मनोरथा में जैसे ही घर वालों को पता चला कि सतीश ट्रेन में बैठकर पटना के लिए रवाना हो गया है, गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। घर आने की खुशी में सतीश की बूढ़ी मां काला देवी, पत्नी अमोला देवी, भाभी मीना देवी, बहन सावित्री देवी, सुनीता देवी सतीश के स्वागत में पलकें बिछाए खड़ी है। सतीश के खाने-पीने को लेकर घर में कई तरह के पकवान बनाए जा रहे थे। उसके स्वागत के लिए घर के बाहर टेंट-शमियाना लगाया गया है। साथ-साथ डीजे की भी व्यवस्था की गई है। सतीश के दोनों पुत्र आशिक व भोला खुशी में घर के बाहर व अंदर कर रहे था। सतीश के आगमन को ले उसके शुभचितक, दोस्त व गांव वालों का उसके घर सुबह से ही तांता लगा हुआ था। बारी-बारी से सतीश के परिजन से लोग पूछते थे, कि सतीश कब आ रहा है? बहन सावित्री की आंखों में खुशी झलक रही थी। भतीजा त्रिलोकी चौधरी, रोहित चौधरी अपने चाचा को देखने को लिए ललायित दिख रहा था। सतीश के छोटे भाई मुकेश चौधरी ने बताया कि पहले की अपेक्षा मेरा भाई बहुत कमजोर हो गया है। अफसोस इस बात का है कि उसे सरकार की तरफ से अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। स्थानीय विधायक अमरनाथ गामी ने बताया कि दैनिक जागरण की पहल आखिरकार रंग लाई। कहा कि दैनिक जागरण वास्तव में एक पेपर ही नहीं बल्कि मित्र भी है।

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