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तैयारी नाकाफी, आएगी बाढ़ तो मचेगी तबाही

और आएगी बाढ़ तो मचेगी तबाही। मानसून दस्तक देने को है। लेकिन प्रखंड से गुजरने वाली करेह नदी के सिरनियां-सिरसियां बायां तटबंध की स्थिति अ'छी नहीं है। कई जगह रेनकट व दरारें बनी हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 12:51 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 12:51 AM (IST)
तैयारी नाकाफी, आएगी बाढ़ तो मचेगी तबाही
तैयारी नाकाफी, आएगी बाढ़ तो मचेगी तबाही

दरभंगा। और आएगी बाढ़ तो मचेगी तबाही। मानसून दस्तक देने को है। लेकिन प्रखंड से गुजरने वाली करेह नदी के सिरनियां-सिरसियां बायां तटबंध की स्थिति अच्छी नहीं है। कई जगह रेनकट व दरारें बनी हुई हैं। तटबंध पर अवैध रूप से बसी झुग्गी-झोपड़ी को भी अतिक्रमणमुक्त नहीं कराया गया है। उक्त तटबंध के दोनों किनारे अतिक्रमणकारियों ने अपना कब्जा जमा रखा है। अगर उक्त तटबंध की मरम्मत का काम समय पर नहीं हो सका तो वर्षा शुरू होने के बाद मिट्टी का कार्य संभव भी नहीं हो पाएगा। उक्त तटबंध जर्जर है। नदी में उफान आने पर तटबंध जवाब दे सकता है। तटबंध की स्थिति को देखते बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी है। हालांकि तटबंध टूटने के बाद ही बाढ़ आती है। हालांकि तटबंध टूटने पर कुछ क्षेत्रों में स्थिति प्रयलंयकारी हो जाती है। इसको लेकर तटबंध से सुरक्षित क्षेत्र के लोगों की जेहन में बरसात शुरू होते ही बाढ़ का भय व्याप्त हो जाता है। लोग बाढ़ पूर्व तैयारी भी कर लेते हैं। इसे देखते हुए तटबंध की सुरक्षा नितांत आवश्यक है। उक्त तटबंध पर पिछले कई सालों से मिट्टी का काम नहीं हुआ है। उक्त तटबंध पर जगह-जगह रेन कट बन गए हैं। चूहों, खिखिर आदि ने बड़े-बड़े मांद बना दिया है। वहीं रही सही कसर ट्रैक्टर उक्त तटबंध पर चलकर तटबंध को कमजोर कर रहा है। हालांकि संबंधित विभाग के पदाधिकारी बाढ़ के मद्देनजर तैयारी में तो अवश्य जुट गए हैं। विभाग के द्वारा जगह-जगह जर्जर पड़े तटबंध स्थित प्लास्टिक के बोरा में मिट्टी भरकर रखा गया है। हालांकि विभाग की यह तैयारी नाकाफी है। ऊंट के मुंह में जीरा मात्र है। हालांकि संबंधित विभाग के पदाधिकारी की माने तो हर-हाल में बाढ़ से पूर्व उक्त तटबंध का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इधर अंचलाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि बाढ़ से पूर्व उक्त तटबंध से जल्द ही अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जाएगा। इधर खर्रा गांव व पंसस उमेश मांझी ने बताया कि दीघरा व नवकाटोल के बीच में उक्त तटबंध पूरी तरह डैमेज है अगर समय रहते विभाग नहीं जगा तो बाढ़ तबाही मचा सकती है। दीघरा के बैजू सहनी ने बताया कि बांध की मरम्मत के बजाए विभाग खानापूर्ति मात्र की जा रही है। नवकाटोल के संतोष यादव व हरिश्चन्द्र यादव ने बताया कि बांध इतना कमजोर हो चुका है कि गांव वालों को हमेशा बाढ़ की ¨चता सता रही है। इन्होंने बताया कि बांध की मजबूती के लिए जो कार्य होना चाहिए वो नहीं हो पाता है।ं

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