Bihar Flood: मुसीबत में भी कायम रखा हौसला, मदद नहीं मिली तो खुद बना डाला चचरी पुल
Bihar Flood बिहार के दरभंगा के एक गांव की मुख्य सड़क बाढ़ में कट गई। इसके बाद लोगों ने अपने बल पर चचरी पुल बनाकर आवागमन चालू कर दिया है।
By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 01:42 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 09:49 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। बाढ़ के हालात में भी लोगों ने हौसले को बुलंद रखा और कुछ ऐसा कर दिखाया, जिसकी आज चर्चा हो रही है। नदी की तेज धार में जब सड़क कट गई और तुरंत सरकारी व प्रशासनिक मदद नहीं मिली तो लोागें ने अपने बल पर बांस का चचरी पुल बना डाला। इससे हजारों लोगों के आवागमन का टूट चुका रास्ता फिर बन गया। मामला दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के बिठौली गांव का है।
बिहार में बाढ़ से 12 जिलों के 79 प्रखंडों की 26 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित है। सरकार की ओर से राहत व बचाव कार्य जारी हैं। बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में दरभंगा शामिल है।
नदी की तेज धार में कट गई सड़क
दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के बिठौली गांव में बाढ़ के पानी ने मुख्य सड़क को काट दिया। इस कारण ग्रामीणों का बाहरी दुनिया से संपर्क टूट गया। साथ ही जरूरत के सामानों को लाने व बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने में परेशानी होने ल्रगी।
खुद ही बनाया बांस का चचरी पुल
ग्रामीणों ने प्रशासन से टूटी सड़क को तुरंत बनवाने या कोई वैकल्पिक प्रबंध करने का आग्रह किया, लेकिन इसमें विलंब हाेता देख खुद ही कोई उपाय करने का फैसला किया। उन्होंने चंदा इकट्ठर कर व श्रमदान से टूटी सड़क पर बांस का चचरी पुल बना दिया।
बाहरी दुनिया से बन गया संपर्क
इस चचरी पुल के बन जाने के बाद अब गांव का सड़क संपर्क बाहरी दुनिया से फिर कायम हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार बाढ़ के बाद सड़क बन जएगी, लेकिन इस वक्त तो चचरी का ही सहारा है।
बिहार में बाढ़ से 12 जिलों के 79 प्रखंडों की 26 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित है। सरकार की ओर से राहत व बचाव कार्य जारी हैं। बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में दरभंगा शामिल है।
नदी की तेज धार में कट गई सड़क
दरभंगा के सिंहवाड़ा प्रखंड के बिठौली गांव में बाढ़ के पानी ने मुख्य सड़क को काट दिया। इस कारण ग्रामीणों का बाहरी दुनिया से संपर्क टूट गया। साथ ही जरूरत के सामानों को लाने व बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने में परेशानी होने ल्रगी।
खुद ही बनाया बांस का चचरी पुल
ग्रामीणों ने प्रशासन से टूटी सड़क को तुरंत बनवाने या कोई वैकल्पिक प्रबंध करने का आग्रह किया, लेकिन इसमें विलंब हाेता देख खुद ही कोई उपाय करने का फैसला किया। उन्होंने चंदा इकट्ठर कर व श्रमदान से टूटी सड़क पर बांस का चचरी पुल बना दिया।
बाहरी दुनिया से बन गया संपर्क
इस चचरी पुल के बन जाने के बाद अब गांव का सड़क संपर्क बाहरी दुनिया से फिर कायम हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार बाढ़ के बाद सड़क बन जएगी, लेकिन इस वक्त तो चचरी का ही सहारा है।
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