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    Bihar News : राज्यपाल का एक्शन मोड, निशाने पर दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य

    By Mrityunjay Bhardwaj Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 06:37 PM (IST)

    बिहार के राज्यपाल एक्शन मोड में हैं और उन्होंने दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य को निशाने पर लिया है। प्राचार्य पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनकी जांच के आदेश राज्यपाल ने दिए हैं। जांच के बाद प्राचार्य पर कार्रवाई की जा सकती है।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य संदीप तिवारी पर गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप प्रथम दृष्टया सत्य पाए जाने के कारण विभागीय कार्रवाई संचालित की जाएगी।

    विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विभाग ने राज्यपाल के आदेश से प्राचार्य तिवारी के खिलाफ बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियमावली 2005 के नियम 17 के अंतर्गत विभागीय कार्रवाई संचालित करने की स्वीकृति प्रदान की है।

    मामले के आरोपित प्राचार्य डा. संदीप तिवारी अपना बचाव जांच संचालन पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकेंगे। इससे उनके प्राचार्य के रूप में करियर पर बट्टा लग सकता और कार्रवाई भी हो सकती है।

    विभाग के अपर सचिव सह निदेशक ने विभागीय कार्रवाई संचालन के लिए मुख्य जांच आयुक्त सामान्य प्रशासन विभाग को जांच संचालन पदाधिकारी और विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विभाग के संयुक्त सचिव कुमार सिद्धार्थ को उपस्थापन, प्रस्तुतिकरण पदाधिकारी नियुक्त किया है।

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    बता दें कि सरकार के विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर सचिव सह निदेशक ने उनसे जांच उपरांत आरोपों के सत्य पाए जाने पर एक सप्ताह में अपना पक्ष रखने को कहा था। चेतावनी दी थी, कि उसके बाद कार्रवाई होगी।

    निदेशक ने पहली अगस्त को भेजे गए पत्र में प्राचार्य से कहा था कि कालेज में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त परिवाद की जांच में पाया गया है कि विकास फंड की राशि में भारी अनियमितता बरती गई है। अधिवक्ताओं के चयन में ना तो चयन समिति से पैनल बनाया गया और ना ही इसके लिए विभाग से किसी प्रकार की अनुमति प्राप्त की गई।

    इतना ही नहीं अपने चहेते अधिवक्ताओं को प्राचार्य ने मनमाना भुगतान भी कर दिया, जो रोकड़ बही से प्रमाणित भी हो गया है। पप्पू टेंट हाउस को कार्यादेश अलग राशि के लिए दिया गया। यह बिहार वित्तीय नियमावली की अनदेखी है। इतना ही नहीं पप्पू टेंट हाउस का देयक 27,640 रुपये का है तथा उसके साथ विश्वकर्मा टेंट हाउस का 33 हजार और अंशु इंटरप्राइजेज का 44 हजार का देयक है। लेकिन सारा भुगतान पप्पू टेंट हाउस को कर दिया गया।

    जांचकर्ताओं को नहीं दिया था अभिलेख

    प्राचार्य के खिलाफ भेजे गए परिवादों की जांच करने गई टीम के साथ प्राचार्य ने सहयोग नहीं किया था। श्री ओम सिक्यूरिटी के भुगतान में भी अनियमितता पाई गई थी। उसे पांच लाख 71 हजार 101 एवं विकास मद से तीन लाख 77 हजार के भुगतान का साक्ष्य पाया गया था। एक ही सेवा प्रदाता को दो अलग-अलग मदों से भुगतना किया जाना, राशि के भारी गोलमाल का प्रमाण मिला था। इतना ही नहीं सुरक्षा गार्ड, माली एवं सुइपर की दैनिक उपस्थिति पंजी भी जांच दल को उपलब्ध नहीं कराई गई थी।

    विकास मद का भी भारी दुरुपयोग हुआ था। दो लाख 35 हजार का सोफा, 50 हजार का मोबाइल और दो एसी खरीदने का भी साक्ष्य मिले थे। इसमें भी बिहार वित्तीय नियमावली के नियम नौ का उल्लंघन करते हुए अधिक राशि खर्च की गई थी।

    डीएम ने भी प्राचार्य के खिलाफ की थी शिकायत

    डीएम ने भी प्राचार्य के खिलाफ परिवाद विभाग को भेजा था। इसमें शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों को प्रताड़ित करने का गंभीर आरोप पाया गया था। इतना ही नहीं शिक्षकों के साथ प्राचार्य के अभद्र व्यवहार की बात से डीएम ने विभाग को अवगत कराया था। एक ही वित्तीय वर्ष में दो बार सोलर स्ट्रीट लाइट का क्रय भी प्राचार्य के गले का फांस बन गया है। अब कार्रवाई के बाद प्राचार्य डा. तिवारी पर कैसी गाज गिरती है इस पर सबकी नजर है।

    विभाग को मैंने अपना जवाब दे दिया है। विभाग को पूरी तरह से सहयोग कर रहा हूं। मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो गलत हो। सभी कार्यों को नियमानुसार किया गया है।
    -डा. संदीप तिवारी, प्राचार्य, दरभंगा इंजीनियरिंग कालेज।