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मंगलगीतों के बीच नवविवाहित दूल्हों का हुआ चुमाउन, बंटे मखाना-बताशा

दरभंगा। मिथिला का लोकपर्व कोजागरा शुक्रवार को धूम-धाम से मनाया गया। नवविवाहित दूल्हों के घ्

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 12:26 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 12:26 AM (IST)
मंगलगीतों के बीच नवविवाहित दूल्हों का हुआ चुमाउन, बंटे मखाना-बताशा
मंगलगीतों के बीच नवविवाहित दूल्हों का हुआ चुमाउन, बंटे मखाना-बताशा

दरभंगा। मिथिला का लोकपर्व कोजागरा शुक्रवार को धूम-धाम से मनाया गया। नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर सुबह से ही उत्सवी माहौल था। दूल्हे के ससुराल से आए भाड़ को देखने के लिए पूरे दिन आस-पड़ोस के लोगों का तांता लगा रहा। रिश्तेदार और मेहमान भी जुटे रहे। शाम में ससुराल से भेजे गए नए वस्त्र पहनाकर मंगलगीतों के बीच परिवार की महिलाओं ने नवविवाहित दूल्हों का चुमाउन किया गया। चुमाउन के बाद दुर्वाक्षत देकर बुजुर्गों ने उनके स्वस्थ व दीर्घ जीवन की कामना की और आशिर्वाद दिया। आजु सुदिन दिन निर्मल बनल सोना ओ चांदी समान की रघुबर के झूमि झूमि करियौन चुमाउन आदि मिथिला के पारंपरिक लोक गीतों से पूरा वातावरण गुंजायमान होता रहा। चुमाउन के बाद दूल्हों ने अपने साला और भाभी के साथ इस मौके पर खेले जाने वाले पारंपरिक पचीसी खेल का आनंद लिया। इस दौरान महिलाओं की हुल्लड़बाजी और ठहाकों से घर-आंगना गुंजता रहा।

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खूब बंटे मखाना-बताशा व पान :

चुमाउन के बाद समाज के लोगों के बीच मखाना-बतासा और पान बांटे गए। मिथिला में सामाजिक समरसता के प्रतिक इस कोजागरा पर्व में समाज के सभी वर्ग के लोग मखाना-बतासा लेने के लिए देर रात तक पहुंचते रहे। सामान्यतया बदलते परिवेश का असर कोजागरा पर भी देखने को मिल रहा है। कोजागरा में वधु के घर से भाड़ भेजने की परंपरा अब दिनानुदिन खत्म होने के कगार पर है। लोग नवविवाहित दूल्हा एवं उनके परिजनों को वस्त्र, मखाना आदि भेजकर नकद रुपए ही दे देते हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी बड़ा डाला में चुमाओन संबंधी सामानों को सजाकर भेजने की परंपरा बहुत हद तक कायम है।

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कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल :नवविवाहित दंपत्तियों के घर कोजागरा पर्व को लेकर उत्सवी माहौल रहा। परंपरा के अनुसार, इस दिन कन्या पक्ष की ओर से वर के घर कोजागरा का डाला भेजा जाता है। साथ में कई तरह की मिठाइयां व पकवान भी भेजे जाते हैं। ससुराल से आए डाला के साथ वर का चुमाउन उनके घर की महिलाएं करती हैं। चुमाउन के बाद बुजुर्ग दुर्वाक्षत से अपना आशीर्वाद नवदंपत्ति को देते हैं। यह विधि शादी के प्रथम वर्ष ही होती है।

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