राम मंदिर निर्माण में मिथिला की अहम भूमिका
दरभंगा। विद्वानों की धरती मिथिला। महाकवि विद्यापति से लेकर बहुत से विद्वान हुए। मिथिला पेंटिंग क
दरभंगा। विद्वानों की धरती मिथिला। महाकवि विद्यापति से लेकर बहुत से विद्वान हुए। मिथिला पेंटिंग की पहचान तो देश-दुनिया में है। बहुत से कलाकारों को पद्मश्री मिल चुका है। कला के इन पुजारियों के अलावा अन्य कई प्रमुख लोग भी हैं, जो देशभर में क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे। इनमें अयोध्या के डीएम और डीआइजी भी शामिल हैं। राम मंदिर के भूमि पूजन में वेदाचार्य की भूमिका निभाने वाले पंडित भी हैं।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में मिथिला की बड़ी भूमिका है। मधुबनी के बेटे अनुज कुमार झा अयोध्या के जिलाधिकारी हैं। इसके चलते वे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नॉमिनी मेंबर भी हैं। झझारपुर की सिमरा पंचायत के मझौरा गाव निवासी अनुज 2009 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। उनके पिता बद्री झा हिदुस्तान स्टील वर्क्स बोकारो से सेवानिवृत्त हैं। बेगूसराय जिले के रामदीरी नकटी निवासी सुमन प्रसाद सिंह के बड़े पुत्र व उत्तर प्रदेश कैडर के आइपीएस अधिकारी दीपक कुमार अयोध्या के डीआइजी हैं। वे रामलला की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे। इन्हें राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले अयोध्या का डीआइजी बनाया गया था।
वहीं, राम मंदिर के निर्माण के भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य पुरोहित रहे पंडित गंगाधर पाठक बेगूसराय जिले के तेघड़ा प्रखंड की बरौनी पंचायत के बरियारपुर गाव के निवासी हैं। गंगाधर हिदू शास्त्र विधान के विद्वान तथा ज्योतिष के भी ज्ञाता हैं।
कामेश्वर ने राम मंदिर की नींव के लिए रखी थी पहली ईंट : राम मंदिर ट्रस्ट के 15 सदस्यों में एक नाम बिहार के कामेश्वर चौपाल का भी है। दलित नेता कामेश्वर की राम मंदिर आदोलन में सक्रिय भूमिका थी। सुपौल के रहने वाले कामेश्वर ने वर्ष 1989 में राम मंदिर की नींव के लिए पहली ईंट रखी थी। वे दो बार बिहार में विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। श्रीराम लोक संघर्ष समिति के बिहार प्रदेश के संयोजक और भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं।
सम्मानित करेगा विद्यापति सेवा संस्थान : विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू कहते हैं किराम मंदिर के भूमि पूजन में मिथिला के पुत्रों की सहभागिता से हम गौरवान्वित हैं। विद्यापति सेवा संस्थान आगामी मिथिला विभूति पर्व समारोह में इन्हें सम्मानित करेगा। सचिव जीवकात मिश्र ने बताया कि बहन की ससुराल को भाई की ओर से संवारे जाने की मिथिला की परंपरा रही है। इस नाते मिथिलावासियों ने माता जानकी को बहन मानते हुए उनकी ससुराल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जब भी कोई आयोजन हुआ, बढ़-चढ़कर योगदान दिया है।