मिथिला विश्वविद्यालय को जल्दी मिलेगी दो दर्जन नए कोर्स शुरू करने की मंजूरी
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में दो दर्जन से अधिक पारंपरिक विषयों के इतर विषयों मे
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में दो दर्जन से अधिक पारंपरिक विषयों के इतर विषयों में स्ववित्तपोषित योजना अंतर्गत स्नातक प्रतिष्ठा एवं स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई प्रारंभ करने को लेकर प्रक्रिया तेज हो गई है। 24 नए कोर्स शुरू करने को लेकर रूसा के पास संबंधित फाइलों पर पहल की जा रही है। सूत्रों की माने तो रूसा के उपाध्यक्ष प्रो. कामेश्वर झा के मिथिला के होने का फायदा मिल सकता है। सभी को आशा है कि मिथिला विश्वविद्यालय के विकास के लिए प्रो. कामेश्वर झा नए कोर्स की मंजूरी को लेकर हर संभव प्रयास करेंगे। बता दें कि दिसंबर 2020 में मिथिला विवि एकेडमिक काउंसिल की बैठक हुई थी। जिसमें कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से नए कोर्स बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबयोलॉजी एंड बायरोलॉजी , इनवायरामेंटल साइंस, फिशरीज, फार्मोकोलॉजी, बीसीए- एमसीए,मास कम्युनिकेशन एंड मीडिया,सोशल वर्क, बीबीए, एमबीए, डिजास्टर मैनेजमेंट,मास्टर ऑफ इवेंट मैनेजमेंट, पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स इन एलएलबी ,बीपीएड,एमपीएड साइंस, एमटेक इन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस विषय को शामिल शामिल किया गया है। एफिलिएशन एंड न्यू टीचिंग प्रोग्राम समिति द्वारा पारित विभिन्न कार्य सूची को अनुमोदित किया गया था। इसके बाद सीनेट और सिडिकेट से नए कोर्स को मंजूरे के बाद कुलाधिपति के यहां भेजा गया था। जिसके बाद अब रूसा की ओर से कोर्स को मंजूरी देने को लेकर प्रक्रिया तेज की जा रही है। कोर्स को मंजूरी मिलने के बाद शिक्षकों और कर्मचारियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति भी की जाएगी।
कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पारंपरिक विषयों के अतिरिक्त प्रोफेशनल और टेक्निकल पाठ्यक्रम पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे कोर्स विकसित किए जा रहे हैं, जिसमें तीन साल के पाठ्यक्रम में एक साल पूरा करने पर उसे सर्टिफिकेट कोर्स, दो साल पूरा करने पर डिप्लोमा, तथा तीन साल पूरा करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी। कहा कि पहली बार रिसर्च को प्रोमोट करने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। परीक्षा के संचालन में अधिक समय लग जाने पर पढ़ाई के लिए दिन कम हो जाते हैं, जिसे कम करने की आवश्यकता है।
प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि आज का युग टेक्नोलॉजी का युग है। शिक्षण व्यवस्था टेक्नोलॉजी आधारित होनी चाहिए। इसमें हम कहीं न कहीं पीछे हैं। कई विश्वविद्यालय नए कोर्स-प्रोग्राम लागू कर हमसे आगे चले गए हैं।