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दरभंगा में लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी नहीं बुझ रही खेतों की प्यास

इस बारे में प्रमुख कहती है- इस नलकूप से लगभग सौ से डेढ़ सौ एकड़ में पटवन किया जा सकता है। एक के साथ दूसरे पंचायत के किसान लाभान्वित हो सकते थे। विभागीय उदासीनता और संवेदक की लापरवाही के कारण यह बंद पड़ा हुआ है।

By Sanjay K UpadhyayEdited By: Ajit kumarPublished: Wed, 14 Sep 2022 01:10 AM (IST)Updated: Wed, 14 Sep 2022 01:12 AM (IST)
दरभंगा में लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी नहीं बुझ रही खेतों की प्यास
महज चार से पांच दिन पानी चलने के बाद स्थिति जस की तस हो गई। फोटो- जागरण

दरभंगा, जासं। तारडीह प्रखंड के कठरा महादेव पोखर में लघु सिंचाई विभाग की ओर से पटवन के लिए उद्भव सिंचाई योजना के तहत लगाए गए नलकूप का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा। नलकूप का निर्माण होने से लोगों में उम्मीद जगी थी कि खेती के लिए पटवन की समस्या दूर होगी। लाखों खर्च किए जाने के बाद भी किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। योजना के तहत लगे बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मर पर जंगली पेड़ पौधों और लताओं ने अपना डेरा जमा लिया है। मशीन आदि भी जंग खाकर बर्बाद हो चुकी हैं। बताते हैं कि वर्ष 2016 में नलकूप का जीर्णोद्धार लाखों खर्च कर कराया गया था। खेतों में पटवन के लिए लगाए गए लोहे के पाइप को बदल दिया गया था। इसके बाद महज चार से पांच दिन पानी चलने के बाद स्थिति जस की तस हो गई।

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पानी चला नही दो कर्मी हो गए सेवानिवृत्त

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस नलकूप को चलाने के लिए यहां दो कर्मियों की प्रतिनियुक्ति थी। व्यवस्था ऐसी रही कि खेतों तक पानी पहुंचा नहीं और दो कर्मी यहां से सेवानिवृत्त भी हो गए। वर्तमान में संवेदक द्वारा रखे गए गांव के ही एक व्यक्ति के द्वारा यहां साफ सफाई एवं अन्य कार्य किए जा रहे हैं। जीर्णोद्धार के बाद संवेदक के द्वारा 7000 के मासिक वेतन पर गांव के ही बैजनाथ राउत को इसे चलाने के लिए रखा था, लेकिन बैजनाथ ने बताया कि आज तक संवेदक के द्वारा एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया गया है। चार से पांच दिन शुरुआत में नलकूप चला उसके बाद तकनीकी खराबी आ गई। संवेदक को कई बार फोन करने के बावजूद इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई है। इस उम्मीद में कि नलकूप चालू होगी समय-समय पर नलकूप के आसपास उगी झाड़ियों को साफ सुथरा करता आ रहा हूं।

नलकूप का ठीक होना जरूरी

प्रमुख श्यामा देवी कहती है- इस नलकूप से लगभग सौ से डेढ़ सौ एकड़ में पटवन किया जा सकता है। एक के साथ दूसरे पंचायत के किसान लाभान्वित हो सकते थे। विभागीय उदासीनता और संवेदक की लापरवाही के कारण यह बंद पड़ा हुआ है। मुखिया कुमकुम देवी ने बताया कि पिछले दिनों विभाग के दो तीन अधिकारियों और कर्मियों ने आकर इसे देखा और चले गए।अब तक नलकूप का कुछ नहीं हुआ है। गांव के ही बद्री झा, राजकुमार झा, बैजनाथ मुखिया अरूण झा सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि अगर नलकूप ठीक रहता तो किसानों को आसमान की ओर टकटकी लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। विभागीय अधिकारी बताते हैं- स्थल निरीक्षण किया गया है। संवेदक को जरूरी निर्देश दिए गए हैं। 


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