मानव निर्मित आपदा अत्यधिक ¨चतनीय : प्रो. रास बिहारी
प्राकृतिक आपदा मानव समाज के लिए आज भी बहुत ¨चता का विषय नहीं है।
दरभंगा। प्राकृतिक आपदा मानव समाज के लिए आज भी बहुत ¨चता का विषय नहीं है। आज मानव निर्मित आपदा से समाज को अधिक ¨चतन करना चाहिए। प्राकृतिक आपदा पर मानव का वश नहीं होता। फिर भी इससे वचाव किया जा सकता है। लेकिन, मानव निर्मित आपदा का इलाज जरूरी है। क्योंकि आज इससे अधिक जानें जा रही हैं। लनामिविवि के भूगोल विभाग की ओर से आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता पटना यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. रास बिहारी ¨सह ने ये बातें कही। आपदा प्रबंधन व संपोषित विकास पर उन्होंने कहा कि बाढ़, सुखाड़, भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन, सुनामी, चक्रवात, ब्रजपात आदि प्राकृतिक आपदा से वचाव के कई उपाय आज विकसित हो चुके हैं। लेकिन, उग्रवाद, आतंकवाद, धार्मिक उन्माद, सामाजिक व पारिवारिक उदासीनता के कारण जो जानें जा रही हैं वह ¨चता का विषय है। लनामिविवि के वीसी प्रो. एसके ¨सह ने कहा कि मिथिला क्षेत्र बाढ़ व सुखाड़ से त्रस्त रहा है। जल प्रबंधन पर भी ध्यान देना जरूरी है। कुल मिलाकर भूगोल के शिक्षकों व छात्रों को इस पर गंभीरता से अध्ययन करने की जरूरत है। पंजाब विवि के प्रो. कृष्ण मोहन ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां आपदा जोखिम न्यूनीकरण का रोड मैप 23 मी¨टग के उपरांत तैयार किया है। उड़ीसा विवि के प्रो. गोपाल कृष्ण पांडा ने कहा कि 2013 में उड़ीसा में फइलिन नामक तुफान के क्रम दमें सफल आपदा प्रबंधन पर विचार रखा। मौके पर पूर्व कुलसचिव प्रो. विजय प्रसाद ¨सह, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. टुनटुन झा अचल, प्रो. अमरेश प्रसाद आदि ने विचार रखे। प्रारंभ में विभागाध्यक्ष डॉ. धनेश्वर प्रसाद ¨सह ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन प्रो. पीएन राय व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुरंजन ने किया। मौके पर प्रो. शारदा नंद चौधरी, प्रो. गौरव सिक्का, डॉ. रश्मि शिखा आदि सक्रिय रहे।
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