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निजी स्कूलों में मैथिली की होगी पढ़ाई

दरभंगा । केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के बाद मैथिली की भी पढ़ाई निजी स्कूलों में संभव ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 11:32 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 11:32 PM (IST)
निजी स्कूलों में मैथिली की होगी पढ़ाई
निजी स्कूलों में मैथिली की होगी पढ़ाई

दरभंगा । केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के बाद मैथिली की भी पढ़ाई निजी स्कूलों में संभव हो सकती है। यह व्यवस्था मातृभाषा की समझ विकसित करने के लिए की गई है। अबतक निजी स्कूल अपनी समझ के अनुसार कक्षा एक से पहले की कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाते रहे हैं। जिले में 50 से भी अधिक प्रीस्कूल या प्ले स्कूल हैं। अब नई शिक्षा नीति से इन सभी विद्यालयों के पाठ्यक्रम में एकरूपता आने की संभावना है। लेकिन, घरेलू या मातृभाषा में बच्चों को शिक्षा देना आसान नहीं होगा। वर्तमान में सभी निजी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम में बच्चो को शिक्षा मिल रही है। हर कक्षा में अंग्रेजी माध्यम में ही बच्चों को पढ़ाया जाता है। इस माध्यम से स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन नई शिक्षा नीति ने घरेलू या मातृभाषा का उपयोग करने से संबंधित निर्देश जारी कर ऐसे स्कूलों को अंग्रेजी की सौदेबाजी से मुक्त करने का प्रयास किया है। पांचवी तक ही दो भाषाओं की पढ़ाई नई शिक्षा नीति पांचवी कक्षा तक ही दो भाषाओं के ज्ञान की बात करती है। तीसरी भाषा का विकल्प छठी कक्षा में दिया गया है। लेकिन, नई शिक्षा नीति में शुरुआती कक्षाओं से ही 3 भाषाओं का ज्ञान दिया जाएगा। हालांकि दरभंगा के कुछ निजी विद्यालयों में आज भी शुरुआती कक्षाओं से ही हिदी और अंग्रेजी के अलावा तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत या उर्दू की पढ़ाई होती है। इस बीच मैथिली को बढ़ावा मिलने के बाद निजी स्कूलों के सामने संस्कृत और उर्दू के अलावा मैथिली जैसी अन्य भाषाओं को भी पाठ्यक्रम में शामिल करना चुनौती है।

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दरभंगा के निजी स्कूलों का मानना है कि नई शिक्षा नीति में इन दोनों शिक्षा एवं नवाचार पहलुओं पर जो महत्व दिया गया है. वह स्वागत योग्य है. बड़ी चुनौती इन विषयों को पढ़ाने और ट्रेनिग देने वाले शिक्षकों की कमी है।

सबसे बड़ी चुनौती है नीतियों के धरातल पर लागू करने की है। आज से करीब 10 वर्ष पूर्व जब सीबीएसई ने सतत एवं समग्र मूल्यांकन को अमली जामा पहनाया था और बोर्ड परीक्षाओं में अंकों को हटाकर ग्रेड को जगह दी थी। तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि यह पूरी मुहिम 7 से 8 वर्षों में ढेर हो जाएगी। इसीलिए आवश्यक है कि जिन शिक्षकों को इस पूरी मुहिम को संचालित करना है। उन्हें पूरी तरह प्रशिक्षित किया जाए। निजी स्कूलों की राय : अंतिम निर्णय राज्य सरकार के हाथ दरभंगा पब्लिक स्कूल के निदेशक विशाल गौरव कहते हैं कि मातृभाषा में बच्चों को शिक्षा देने का कथन अर्ध सत्य है। दरअसल नई शिक्षा नीति साफ शब्दों में कहती है कि पांच वी कक्षा तक बच्चों को यथासंभव घरेलू भाषा मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देनी चाहिए। केवल मातृभाषा की बात पूरी नई शिक्षा नीति में कहीं पर नहीं कही गई है ।यह अलग बात है कि भाषा के मामले में अंतिम निर्णय राज्य सरकार को लेना है । रोज पब्लिक स्कूल की निदेशक डॉ. अनूपमा झा ने कहा कि तीन दशक बाद नई शिक्षा नीति आई है। इतनी लंबी अवधि में बहुत कुछ बदल गया। निजी स्कूलों के संचालन में भी बहुत बदलाव है। मातृभाषा में शिक्षा देना बुरी बात नहीं है यह तो बेहतर है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए। हम मैथिली में भी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने के लिए तैयार हैं। -


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