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    दरभंगा में मौलवियों से मदरसा के सचिव प्रतिमाह वसूलते हैं वेतन का 50 प्रतिशत

    By Abul Kaish Naiyar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 03:46 PM (IST)

    दरभंगा से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसमे मदरसों के सचिव मौलवियों से हर महीने उनके वेतन का आधा हिस्सा वसूलते हैं। इस खबर के सामने आने के बाद क्षेत्र में खलबली मच गई है।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है। 

    संवाद सहयोगी, दरभंगा । जिले में सरकार से मान्यता प्राप्त अनुदानित एक मदरसा ऐसा है जिसके पास पांच कट्ठा भूमि वक्फ की गई है। इस भूमि के दो भाग हैं। चार किमी की दूरी पर भूमि के दोनों भाग हैं। एक भाग में मदरसा के सचिव का खलिहान चलता है।

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    स्वाभाविक है कि मदरसा में फर्जीवाड़ा है। लेकिन, जिला शिक्षा कार्यालय में मदरसा संचालकों और उनके बिचौलियों की इतनी धाक है कि उन्होंने केवल कागज पर भूमि दिखा कर न केवल मनमाना निरीक्षण प्रतिवेदन प्राप्त कर लिया बल्कि सरकारी मान्यता भी प्राप्त कर ली।

    इसका लाभ उठा कर मदरसा के सचिव नवनियुक्त मौलवियों से वेतन की पचास प्रतिशत राशि कमीशन ले कर मदरसा के एक प्लाट को खलिहान बनाए हुए हैं। सचिव को वेतन से कमीशन देने वाले मौलवी भी अपने-अपने घर पर बैठ कर मसाला और किराना की दुकान चला रहे हैं।

    मामला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने डीईओ को मदरसे की जांच का आदेश दिया है। लेकिन, डीईओ पर भी दबाव बनाया जा रहा है। इसमें कुछ ऐसे बिचौलिए भी शामिल हैं जो हाई स्कूल में पदस्थापित थे, या हैं, वह भी मलाई काटने में पीछे नहीं हैं।

    हालांकि, अपनी जेब में दो-चार मदरसे चलाने वाले संघ के नेता भी पीछे नहीं हैं। लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष दायर प्रतिवाद में कहा गया है कि ताराडीह प्रखंड के पोखरभिडा, सोहराय में स्थित मदरसा सं 609/29 के नाम दो और तीन कट्ठा के अलग-अलग प्लाट की कुल पांच कट्ठा भूमि वक्फ की गई।

    दोनों प्लाट की दूरी में चार किमी का अंतर है। नियमानुसार यह गलत ही नहीं, अमान्य है। फिर भी मान्यता के साथ मदरसा में नियुक्त मौलवियों को वेतन चालू हो गया। मदरसा के सचिव साबिर अली एक प्लाट में खलिहान चला रहे हैं। स्वाभाविक है कि चार किमी दूर दूसरे प्लाट पर बच्चे कैसे पढ़ने जाते। तो प्रधान मौलवी शमसुल हक भी अपने-अपने घर पाली में ही रहते हैं।

    बच्चे पढ़ें या नहीं, इससे किसी को क्या मतलब। सरकार पैसा दे रही है। बैठे-बिठाए आधा ही सही शिक्षक वेतन ले रहे हैं, सचिव की जेब भर ही है तो और क्या चाहिए।

    मौलवी चला रहे किराना की दुकान

    मदरसा के शिक्षक वकील अहमद ने अपने घर पर ही रहते हैं। मसाला की दुकान खोल रखी है। दिन भर उसी व्यवसाय में लगे रहते हैं। एक शिक्षक अपने गांव में अलग से मकतब का संचालन कर जीविका चला रहे हैं। मदरसा से तो वेतन मिल ही जाता है। तीसरे शिक्षक महताब अहमद भी पीछे क्यों रहते। उन्होंने अपने गांव में ही किराना दुकान खोल रखी है। जब सचिव को आधा वेतन देना ही पड़ता है तब मदरसा क्यों जाएं।

    लोक शिकायत पदाधिकारी के निर्देश पर जांच का आदेश दिया गया है। जांच प्रतिवेदन शीघ्र ही उन्हें उपलब्ध करा दिया जाएगा।

    -केएन सदा, डीईओ, दरभंगा।