Move to Jagran APP

गरीबी व बेरोजगारी का दंश झेल रहा कायस्थ कबई नारायणपुर गांव

आज के समय में भी ग्रामीण इलाके के दर्जनों गांव आधुनिक सुख-सुविधा से वंचित हैं। जहां शहरों में हर प्रकार की आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं वहीं गांव में रहने वालों के लिए यह किसी सपने से कम नहीं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 01:35 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:33 AM (IST)
गरीबी व बेरोजगारी का दंश झेल रहा कायस्थ कबई नारायणपुर गांव
गरीबी व बेरोजगारी का दंश झेल रहा कायस्थ कबई नारायणपुर गांव

दरभंगा । आज के समय में भी ग्रामीण इलाके के दर्जनों गांव आधुनिक सुख-सुविधा से वंचित हैं। जहां शहरों में हर प्रकार की आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, वहीं गांव में रहने वालों के लिए यह किसी सपने से कम नहीं। केंद्र व राज्य सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की पहुंच गांव तक होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से गांवों की स्थितियों में सुधार भी देखने को मिल रहा है। लेकिन, हकीकत यह भी है कि बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण कई गांव आज भी गरीबी व बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं। मनीगाछी प्रखंड क्षेत्र के राघोपुर पश्चिमी पंचायत के कायस्थ कबई नारायणपुर गांव इन्हीं में से एक है। यहां सामान्य सुविधाओं की घोर कमी है।

loksabha election banner

--------

गांव की पीड़ा :

लगभग नौ हजार पांच सौ जनसंख्या वाले इस गांव में पंचायत के ग्यारह वार्ड आते हैं। वोटरों की संख्या पांच हजार पांच सौ पैंतालीस है। संसाधन एवं शिक्षक की समस्या से जहां विद्यालय जूझ रहे हैं, वहीं आंगनवाड़ी केंद्र अपना भवन नहीं रहने की समस्या से। पूरे गांव में मात्र एक सिचाई बोरिग है। लेकिन, ऑपरेटर के नहीं रहने के कारण बंद पड़ा है। किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हैं। गावों में रोजगार नहीं मिलने से बेरोजगार युवक रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों के लिए पलायन हो रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बिजली बिल गड़बड़ आ रहा है। जिसके कारण उपभोक्ता परेशान रहते हैं। साथ ही स्वास्थ्य उप केंद्र में डॉक्टर नहीं रहने से ग्रामीणों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। देविया देवी, देवकला देवी, काशी देवी, कमोद नदाफ, माधुरी देवी, मोबीना खातुन, नूरजहां, रामदेव मंडल, खैरुण निशा सहित कई लोगों ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि हमलोगों को पेंशन मिलता था, लेकिन गत तीन वर्षों से खाता में राशि नहीं आ रहा है। सभी कागजात कई बार पंचायत सचिव के अलावा ब्लॉक में भी जमा किए हैं। गांव के पैंसठ प्रतिशत लोग शिक्षित हैं। मात्र एक प्रतिशत लोग ही सरकारी सेवा में हैं। सरकारी योजना धरातल पर दिख रही है, लेकिन बहुत सारी योजनाओं का धरातल पर नहीं उतरना, गांव के लोगों को बुनियादी सुविधाओं के नाम पर अबतक धोखा ही है।

-------------

कायस्थ कबई नारायणपुर गांव एक नजर में :

जनसंख्या : करीब 9500, वोटर : 5545, शिक्षित : 65 प्रतिशत, अशिक्षित : 35 प्रतिशत, सरकारी नौकरी में : करीब एक प्रतिशत, वार्डों की संख्या : 11, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय : एक, मध्य विद्यालय : एक, प्राथमिक विद्यालय : तीन, कस्तूरबा बालिका विद्यालय : एक, मदरसा : एक, आंगनबाड़ी केंद्र : सात, पंचायत भवन : एक, सामुदायिक भवन : छह, स्वास्थ्य उप केंद्र : एक, सिचाई बोरिग : एक, खेल मैदान : एक, उप डाकघर : एक, मंदिर : तीन, मस्जिद : दो।

------------

कहते हैं स्थानीय ग्रामीण :

उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पंचायत में रहने के बावजूद विद्यार्थियों को आठ किलोमीटर दूर पढ़ाई करने के लिए जाना पड़ता है। साथ ही विद्यालयों में शिक्षक एवं उपस्कर की घोर कमी है। जिसके कारण अधिकतर लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती है। सरकार को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।

- विनय झा, ग्रामीण

--------

मृतप्राय कमला नदी का उराही कर जल संचय करने एवं स्वच्छ वातावरण के लिए नदी किनारे सैकड़ों पेड़ लगाने के लिए मुखिया धन्यवाद के पात्र हैं। दर्जनों मल्लाह समुदाय के लोग अब इस नदी में मछली पालन कर अपना परिवार चलाते हैं।

- लाल सहनी, ग्रामीण

-----------

गांव का काफी सरकारी जमीन दबंगों ने अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमण कर रखा है। जमीन के अभाव में सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजना (सात निश्चय) धरातल पर नहीं उतर पा रही है। नारायणपुर-बेहटा आरईओ सड़क जर्जर रहने के कारण आम लोगों को कठिनाइयां होती है।

- मो. शकील, ग्रामीण

--------

महिलाओं के उत्थान के लिए प्रशिक्षण केंद्र की आवश्यकता है, ताकि महिला विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सके। जिसकी व्यवस्था यहां नहीं है।

- जरीना खातुन, ग्रामीण

-----------

उम्र 69 साल हो गई है, लेकिन अब तक पेंशन नहीं मिल रहा है। कई बार आवेदन भी ब्लॉक में जमा किए हैं, लेकिन अब तक उसका लाभ नहीं मिल सका।

- मो. नवीजान, ग्रामीण

---------

सरकारी स्तर पर न तो खाद या बीज मिलता है और ना ही सिचाई के लिए बोरिग। ये सब सरकारी कागजों में ही सिमट कर रह गया है।

- तृप्ति नारायण झा, ग्रामीण

---------

गांव का चहुंमुखी विकास आम जनता, जनप्रतिनिधि, पूर्व मुखिया एवं पदाधिकारियों के सहयोग से किया जा रहा है। इन्हीं लोगों के सहयोग से पंचायत ओडीएफ घोषित किया गया है। लोगों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

- दीपिका नायक, मुखिया

-----------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.