शास्त्रार्थ से शास्त्र में बढ़ती है रुचि : कुलपति
दरभंगा। संस्कृत विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए मंगलवार को कुलपति प्रो. सर्वनारायण झा ने कहा कि शास्त्रार्थ करने से शास्त्र के प्रति रुचि बढ़ती है। उसकी प्रासंगिकता भी बनी रहती है।
दरभंगा। संस्कृत विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए मंगलवार को कुलपति प्रो. सर्वनारायण झा ने कहा कि शास्त्रार्थ करने से शास्त्र के प्रति रुचि बढ़ती है। उसकी प्रासंगिकता भी बनी रहती है। शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों तक प्रतिदिन अपनी पहुंच बनाएं और शास्त्रों के बारे में ही उनसे बात करें। तभी उन्हें सम्मान मिलेगा और शास्त्र भी जीवित रहेगा। सीनेट हाल में आयोजित समारोह में कुलपति ने कहा कि कॉलेज स्तर पर भी शास्त्रार्थ करने की तैयारी चल रही है। इससे छात्र शास्त्र के प्रति उन्मुख रहेंगे। संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित मिथिला लोक मंथन केंद्र चेतना में भी बहुत जल्द तीनों परंपराओं में शास्त्रार्थ होगा, जिसमें कई विश्वविद्यालयों के नामचीन विद्वान शिरकत करेंगे। सिडिकेट सदस्य डॉ. विनय कुमार चौधरी ने प्राच्य विद्या के संवर्धन में कुलपति के कार्यकाल को अहम बताया। सिडिकेट सदस्य डॉ. कन्हैया चौधरी ने कहा कि शास्त्रार्थ होने की चर्चा हम सभी किताबों में ही पढ़ा करते थे, लेकिन वर्तमान कुलपति ने उसे प्रत्यक्ष कर दिया। पीआरओ निशिकांत ने बताया कि डॉ. उपेंद्र झा के पर्यवेक्षण में वेद विषय पर डॉ. चंद्रेश उपाध्याय एवं डॉ. ध्रुव झा के बीच जमकर शास्त्रार्थ हुआ। इसके बाद कुलपति ने सभी शास्त्रार्थीयों को प्रमाण पत्र भेंट की। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. सुरेश्वर झा ने शास्त्रार्थ की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन डॉ. दयानाथ झा ने किया।