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छात्रों की संख्या बढ़ाइए, नहीं तो बच नहीं सकेंगे कॉलेज : कुलपति

दरभंगा। कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में विद्वत परिषद की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने कॉलेजों व स्नातकोत्तर विभागों में छात्रों की वर्तमान उपस्थिति पर घोर ¨चता जाहिर करते हुए शनिवार को कहा कि हर हाल में छात्रों की संख्या बढ़ाइए अन्यथा कॉलेज ही नहीं बच पाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 11:47 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 11:47 PM (IST)
छात्रों की संख्या बढ़ाइए, नहीं तो बच नहीं सकेंगे कॉलेज : कुलपति
छात्रों की संख्या बढ़ाइए, नहीं तो बच नहीं सकेंगे कॉलेज : कुलपति

दरभंगा। कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में विद्वत परिषद की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने कॉलेजों व स्नातकोत्तर विभागों में छात्रों की वर्तमान उपस्थिति पर घोर ¨चता जाहिर करते हुए शनिवार को कहा कि हर हाल में छात्रों की संख्या बढ़ाइए अन्यथा कॉलेज ही नहीं बच पाएंगे। पुरानी व्यव्यस्था को तब की बात कहते हुए उन्होंने हर हाल में आज के संदर्भ में छात्रों की संख्या बल बढ़ाने पर जोर दिया। इसके समर्थन में कुलपति ने तर्क दिया कि कॉलेजों व विभागों में नामांकन की अधिकतम छात्र संख्या बढ़ाकर भी हम सभी अपनी दमदार उपस्थिति कर सकते हैं। साथ ही उसकी उपस्थिति भी बढ़ाई जाएगी। इस पर पूरा सदन एकमत था। जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि इसी क्रम में सामूहिक निर्णय हुआ कि पीजी से लेकर उपशास्त्री तक की कक्षाओं में अब पहले से अधिक छात्रों का नामांकन होगा। प्रधानाचार्यो व विभागाध्यक्षों को यह अधिकार दिया गया कि विशेष परिस्थिति में छात्रों की तय नामांकन संख्या से भी अधिक बच्चों का वे दाखिला ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कुलपति से लिखित स्वीकृति लेनी होगी।

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उपशास्त्री कॉलेजों में अब 60 की जगह होंगे 100 नामांकन :

फिलहाल सामूहिक निर्णय हुआ कि पीजी में प्रति वर्ष साहित्य में 150, व्याकरण में 100, ज्योतिष में 40-40, दर्शन, वेद, धर्मशास्त्र व कर्मकांड में 50-50 छात्रों का अब नामांकन हो पाएगा। इसी तरह जिन कॉलेजों में आचार्य की पढ़ाई हो रही है, वहां भी साहित्य में 120, व्याकरण में 100, ज्योतिष में 40-40, वेद, दर्शन व धर्मशास्त्र में 50-50 छात्रों का नामांकन होगा। वहीं दूसरी ओर, उपशास्त्री कॉलेजों में भी अब 60 से बढ़ाकर हर साल 100 छात्रों का एडमिशन करना होगा। शास्त्री स्तर के कॉलेजों में साहित्य, व्याकरण व ज्योतिष में छात्रों की संख्या पूर्ववत रखते हुए वेद, दर्शन, धर्मशास्त्र विषयों में 20-20 छात्रों के नामांकन का निर्णय लिया गया। यानी जिन विषयों में संख्या बल निर्धारित नहीं था, वहां उसे क्लियर कर दिया गया।

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परीक्षा फार्म के स्वरूप में होगा बदलाव :

परिषद की बैठक में कालेज निरीक्षक डॉ. दिनेश्वर यादव के सुझाव पर तय हुआ कि अब नामांकन व परीक्षा प्रपत्रों के स्वरूप में बदलाव किया जाएगा। नए फॉर्म में छात्रों का मोबाईल नंबर, आधार संख्या व बैंक खातों की विस्तृत जानकारी रहेगी, ताकि छात्रों को सभी सुविधाएं समय पर मिल सके। कुलपति प्रो. झा ने प्रपत्रों में बदलाव के लिए एक कमेटी भी बनाने का सुझाव दिया।

बैचलर इन लाइब्रेरी साइंस एवं डिप्लोमा इन लाइब्रेरी साइंस के सेमेस्टर प्रणाली पर बने पाठ्यक्रमों को विद्वत परिषद ने हरी झंडी दे दी। इसके पाठ्यक्रम स्वीकृति के लिए पहले ही राजभवन भेजा जा चुका है। वहां से सहमति मिलते ही इसकी पढ़ाई संस्कृत विश्वविद्यालय में भी शुरू हो जाएगी। बैठक में इसके अलावा और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। धन्यवाद ज्ञापन डीन प्रो. शिवाकांत झा ने किया, जबकि बैठक के प्रस्तावों पर सीसीडीसी प्रो. श्रीपति त्रिपाठी ने प्रकाश डाला। बैठक में कुलसचिव नवीन कुमार के अलावा प्रो. शशिनाथ झा, प्रो. प्रजापति त्रिपाठी, प्रो. शक्तिनाथ झा, डॉ. विनय कुमार मिश्र, डॉ. पुरेंद्र वारिक, डॉ. गजानन पांडे, डॉ. आरपी चौधुर, डॉ. बालमुकुंद मिश्र समेत सभी सदस्य मौजूद थे।

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