गलत लाइफ स्टाइल से बढ़ी बीमारियां : आयुक्त
ओम साईं सेवा ट्रस्ट, सर्राफ आर्थो एवं स्पाइन सेंटर, बिहार आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन व पारस ग्लोबल हॉस्पीटल के संयोजकत्व में रविवार को डीएमसी स्थित डॉ. एचएन यादव ऑडिटोरियम में दरभंगा ओपरेटिव स्पाईन कोर्स (डॉस) 2016 का ब्याख्यानमाला व कार्यशाला का आयोजन हुआ।
दरभंगा। ओम साईं सेवा ट्रस्ट, सर्राफ आर्थो एवं स्पाइन सेंटर, बिहार आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन व पारस ग्लोबल हॉस्पीटल के संयोजकत्व में रविवार को डीएमसी स्थित डॉ. एचएन यादव ऑडिटोरियम में दरभंगा ओपरेटिव स्पाईन कोर्स (डॉस) 2016 का ब्याख्यानमाला व कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसका उदघाटन प्रमंडलीय आयुक्त आरके खंडेलवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मौके पर प्रमंडलीय आयुक्त श्री खंडेलवाल ने कहा कि लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण आज बीमारियां बढ़ी हैं। इसमें स्पाइन संबंधी बीमारियां आम हो गई हैं। इसके बहुत से कारण हैं। लेकिन, हमारी लाइफ स्टाइल इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सरकार व चिकित्सकों को पहल करने की जरूरत है। नए जेनरेशन को स्वस्थ्य रखने के तरीके बताने होंगे। उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा क्षेत्र में एडवांस टेक्नोलॉजी विकसित हो चुकी है। इस कार्यशाला के माध्यम से बाहर से आए चिकित्सकों से इंट्रैक्शन होगा। इससे यहां के चिकित्सकों को भी नई-नई जानकारी मिलेगी। प्रमंडलीय आयुक्त श्री खंडेलवाल ने इस आयोजन के लिए डॉ. सर्राफ व पारस ग्लोबल हॉस्पीटल को बधाई दी और कार्यशाला की सफलता की कामना की। नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि निश्चित रूप से इस तरह की कार्यशाला से चिकित्सक नई-नई तकनीक की जानकारी हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि इस नई तकनीक का फायदा समाज के अंतिम व्यक्ति को मिले इसके लिए चिकित्सकों को आगे आने की जरूरत है। श्री सरावगी ने कहा कि केन्द्र सरकार अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत डीएमसीएच में सुपरस्पेस्लिस्ट अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा। डीएमसी प्राचार्य डॉ. आरके सिन्हा ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से चिकित्सकों को काफी फायदा होता है। कार्यशाला के माध्यम से चिकित्सक नई-नई तकनीकों का आपस में आदान-प्रदान करते हैं। इससे मरीजों को फायदा होता है। पारस ग्लोबल हॉस्पीटल के डॉ. आनंद ने कहा कि पारस इस तरह के किसी भी आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगा। कार्यशाला में आगत अतिथियों का स्वागत डॉ. एसएन सर्राफ ने किया। जबकि, अतिथियों को डॉ. अभिषेक सर्राफ ने गुलदस्ता भेंट कर सम्मान दिया। मौके पर डॉ. केपी पांडेय, डॉ. एसके सिन्हा, डॉ. अंकुर आनंद, डॉ. अर्ना, डॉ. एसएस झा, डॉ. विश्वेन्द्र कुमार सिन्हा, बाम्बे हॉस्पीटल के विख्यात स्पाइन सर्जन डॉ. विशाल कुंदानानि, केइएम हॉस्पीटल मुम्बई के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके श्रीवास्तव, पार्क हॉस्पीटल से डॉ. सौम्यजीत बासु के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, नई दिल्ली व यूपी के कई विख्यात हड्डी व स्पाइन रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अभिषेक सर्राफ ने आगत अतिथियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि दरभंगा में पहली बार पीठ की हड्डी से संबंधित डॉस 2016 का ब्याख्यानमाला एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य पीठ की हड्डी व इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना व नए स्पाइन शल्य चिकित्सकों को नई-नई तकनीक के बारे में प्रशिक्षित करना था। कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने स्पाइन पर लेक्चर के साथ पहली बार पीआइवीडी, लंबर कैनल स्टेनोसिस, थ्रोआकोलंबर ट्रौमा, स्पोनडियोलाइटिस, ओस्टियोप्रोटिक्स वरटिवरल फ्रैक्चर विषय पर प्रैक्टिकल टिप्स भी दिए। साथ ही माइक्रो डिस्केटोमी, वर्टिब्रोप्लास्टि, रूट ब्लॉक इंजेक्शन, टलिफ व एंटेरियर एक्सपोजर ऑफ सेविकल स्पाइन विषय पर विडियो सेशन का भी आयोजन हुआ।
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स्पाइन का सुरक्षित व सटीक इलाज : डॉ. विशालफोटो 26 डीआरजी 11
दरभंगा : बाम्बे हॉस्पीटल के विख्यात स्पाइन सर्जन डॉ. विशाल कुंदनानि पहली बार बिहार आए। उन्होंने कहा कि बिहार के बारे में जो भ्रांतियां है, उन्हें उससे ठीक विपरित देखने को मिला। डॉ. कुदनानि ने कहा ठीक इसी तरह स्पाइन से संबंधित बीमारियों के बारे में लोगों को भ्रातियां है कि अगर एक बार पीठ का दर्द हो जाए तो यह ठीक नहीं हो सकता है। जबकि, स्पाइन का सुरक्षित व सटीक इलाज है। जरूरत है समय पर इसकी उचित जांच कराकर इलाज शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि समय पर इलाज शुरू होने से दवा से भी यह बीमारी ठीक हो सकती है। उन्होंने कहा कि हर पीठ का दर्द स्पाइन से संबंधित बीमारी नहीं है। लेकिन, अगर 6 सप्ताह से ज्यादा कमर दर्द, बुखार, नींद नहीं आना, पांव में कमजोरी, पीठ में सूजन और यूरिन कंट्रोल करने में दिक्कत आती हो तो इसे नजरअंदाज नहीं करें। हो सकता है आपके अंदर छिपी बीमारी दस्तक दे रही हो।
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स्पाइन टीबी कॉमन, इलाज संभव : डॉ. श्रीवास्तवफोटो 26 डीआरजी 12
केइएम हॉस्पीटल मुम्बई के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके श्रीवास्तव ने बताया कि मेडिकल साईंस काफी प्रगति कर चुका है। पहले स्पाइन से संबंधित बीमारी होने पर सोच
लिया जाता था कि अब मरीज बिछावन से नहीं उठ पाएगा। लेकिन, स्पाइन सर्जरी काफी सेफ है। उन्होंने बताया कि
आज स्पाइन टीबी कॉमन बीमारी हो गई है। इस बीमारी में मरीज धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है। वह चल नहीं पाता है। रीड की हड्डी सड़ने लगती है। इस बीमारी का इलाज संभव है। इसमें पहले टीबी का इलाज होता है साथ ही ऑपरेशन कर इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि कुबरा होने व टेढ़ा पैदा होने पर लोगों में आज भी अंधविश्वास है कि भूत-प्रेत की छाया के कारण इस तरह के बच्चे हुए हैं। लोग इसका सही समय पर इलाज नहीं कराते हैं। इस तरह के रोगी को पारा पलेजिया कहते हैं। इसका उपचार संभव है। -------------