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मैथिली लघु फिल्म के विकास की असीम संभावनाएं, प्रयास की जरूरत

स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज के सभागार में मैथिली फिल्म अकादमी की ओर से आयोजित दो दिवसीय मैथिली लघु फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन विचार गोष्ठी हुई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 02:01 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 02:01 AM (IST)
मैथिली लघु फिल्म के विकास की असीम संभावनाएं, प्रयास की जरूरत
मैथिली लघु फिल्म के विकास की असीम संभावनाएं, प्रयास की जरूरत

दरभंगा । स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज के सभागार में मैथिली फिल्म अकादमी की ओर से आयोजित दो दिवसीय मैथिली लघु फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन विचार गोष्ठी हुई। जिसमें मैथिली लघु फिल्म निर्माण संभावना आ साहित्य विषय पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि मैथिली लघु फिल्म के विकास की असीम संभावनाएं हैं। समवेत प्रयास करने की आवश्यकता है। नई प्रतिभाओं को आगे आना होगा। कॉलेज के हिदी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार की अध्यक्षता में आयोजित विचार गोष्ठी में मैथिली लघु फिल्म एमबीए कन्या सीए वर के निर्देशक शंभूनाथ मिश्र ने कहा कि व्यावसायिक पक्ष को मजबूत कर और आम लोगों को जोड़कर लघु फिल्मों के विकास का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। मैथिली फिल्म के नायक अनिल मिश्र ने प्रोफेशनल कलाकारों को आगे आने का आह्वान किया। फिल्म समीक्षक विजय कुमार मिश्रा ने कहा कि अपने क्षेत्र की भाषा और संस्कृति की खूबियों को उजागर कर लघु फिल्मों को समृद्ध बनाया जा सकता है। मैथिली की प्रो. उषा चौधरी ने कहा कि मैथिली फिल्मों का भविष्य उज्जवल है। मैथिली फिल्म की कोलकाता से आई नायिका गीता मिश्र ने कहा कि सामाजिक कुप्रथा और अंधविश्वास पर आधारित लघु फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता है। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. कुमार ने कहा कि साहित्य को समृद्ध कर फिल्म निर्माण का विकास किया जा सकता है। मिथिला के साथ-साथ नेपाल में भी इसके व्यावसायिक प्रदर्शन की बेहतर संभावना है। संचालन कर रहे डॉ. सत्येंद्र कुमार झा ने कहा कि अब सार्थक कदम उठाने का समय है और ऐसे आयोजनों से प्रयास को गति मिलेगी। अन्य वक्ताओं में सुनील कुमार वैद्य, विजय कुमार साह, सुधीर कुमार, कमलानंद झा शास्त्री, नवीन चौधरी और स्वर्णिम शामिल थे। कार्यक्रम का आरंभ छात्राओं के गाए मिथिला वर्णन से हुआ। अतिथियों को पाग चादर और प्रतीक चिन्ह देकर मैथिली फिल्म अकादमी के संयोजक शशि मोहन भारद्धाज ने सम्मानित किया। धन्यवाद ज्ञापन शैलेंद्र कश्यप ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा, ़िफल्म निर्माता निर्देशक बालकृष्ण झा, श्याम भास्कर, अमर ज्योति समेत कई गणमान्य मौजूद रहे। गोष्ठी से पूर्व छह मैथिली लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया जिन में पुनर्जन्म, गोरकी, एमबीए कनिया सीए बर, फेर हेतइ भोर, कवि कल्पना, दीपावली पर केंद्रित राधे-राधे शामिल रहे। दर्शक भी इन फिल्मों को देख खूब आह्लादित हुए और बेहतर सीन और कहानी को सराहा। कार्यक्रम के तीसरे और अंतिम सत्र में मैथिली फिल्म निर्माता, निर्देशक और कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर हर्ष प्रिया, शिवानी और रिमझिम के द्वारा प्रस्तुत लोक नृत्य झिझिया, डोमकच की प्रस्तुति ने सब का मन मोह लिया। गुड्डू और रणवीर ने गिटार पर स्वर्ग स सुंदर मिथिला धाम को नए अंदाज में गाकर खूब तालियां बटोरी।

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