जमीन की खरीद-बिक्री के नाम पर अवैध वसूली
दरभंगा। बेनीपुर एवं बिरौल अनुमंडल का एकलौता अवर निबंधन कार्यालय बहेड़ा का प्रांगण दलालों का अड्डा बन
दरभंगा। बेनीपुर एवं बिरौल अनुमंडल का एकलौता अवर निबंधन कार्यालय बहेड़ा का प्रांगण दलालों का अड्डा बन गया है।बताया जाता है दोनों अनुमंडलों के दूर दराज ग्रामीण जमीन की खरीद बिक्री करने के लिए प्रतिदिन यहां आनेवाले लोगों से दलाल एवं कुछ दस्तावेज नबीसों की मिलीभगत से निबंधन से पूर्व स्टेट बैंक में ई चलान के माध्यम से मुद्रांक शुल्क, निबंधन शुल्क व तालवाना शुल्क जमा कराने के नाम पर जमकर अवैध रकम की वसूली की जा रही है। इतना ही नहीं जमीन बेचने वालों की जमीन की अपटूडेट रसीद कटवाने, दाखिल खारिज करवाने के नाम पर दलाल किस्म के व्यक्ति अंचलों के राजस्व कर्मियों से मिलीभगत कर धड़ल्ले से अवैध रकम की उगाही कर रहे हैं। जमीन बेचने एवं खरीद करने वालों को जमीनों की जांच पड़ताल कर घनही या फिर आवसीय होने का प्रमाण पत्र दिलवाने के नाम पर भी अवैध रूप से मोटी रकम की वसूली की जाती है। लोगों का कहना है कि दोनों अनुमंडलों के अधिकांश गांवों में दलाल किस्म के कई ऐसे व्यक्ति हैं जो लोगों को जमीन का निबंधन कार्यालय में खरीद बिक्री कराने संबधी कार्य करवाने का ठेका ले लेते हैं। फिर गांव देहात की गरीब अनपढ़ जनता जानकारी के अभाव में इन दलालों के चंगुल में फंसकर इनको अवैध रकम देने के लिए बाध्य हो रहे हैं। ग्रामीण दलालों का सीधा संपर्क निबंधन कार्यालय के कई दस्ताबेज नबीसों से है। बताया जाता हैं कि निबंधक महानिरीक्षक पटना के आदेशानुसार दस्ताबेज नबीसों को एक लाख रुपया तक एक जमीन के दस्ताबेज पर 200 रुपये, पांच लाख तक के एक दस्ताबेज पर 15 सौ रुपये तथा दस लाख तक के एक दस्ताबेज पर 25 सौ रुपया कमीशन देने का प्रावधान है। लेकिन, कई दस्ताबेज नबीस कमीशन के अलावा जमीन खरीद बिक्री करने आनेवाले लोगों से जमीन की जांच पड़ताल करबाकर धनही या फिर आवसीय होने का प्रमाण पत्र दिलवाने के नाम पर नाजायज रकम की वसूली करते हैं। वहीं कई दस्ताबेज नबीसों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि निबंधन कार्यालय प्रांगण में जो भी खेल होता है उसमें कार्यालय के कुछ कर्मियों की अहम भूमिका है। कुशेश्वरस्थान के लक्ष्मी पासवान व गेना पासवान, बिरौल के पोखराम गांव के चलित्तर चौधरी, सोहन चौधरी, ग्यारी गांव के लोचन मुखिया आदि लोगों का कहना था कि यहां जमीन खरीद बिक्री करने के लिए आनेवाले लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। लोगों से नाजायज रकम की वसूली की जाती है।