बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी में नया सबेरा होने की जगी उम्मीद
जिले के घनश्यामपुर प्रखंड की सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित पंचायत बुढ़ैब इनायतपुर के बाढ़ पीड़ितों की ¨जदगी में नया सबेरा होने की उम्मीद जगी है।
दरभंगा । जिले के घनश्यामपुर प्रखंड की सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित पंचायत बुढ़ैब इनायतपुर के बाढ़ पीड़ितों की ¨जदगी में नया सबेरा होने की उम्मीद जगी है। जिला पदाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर ¨सह के प्रयास से इस पंचायत के तकरीबन 1100 परिवारों को पुनर्वासित करने की रूपरेखा तैयार की गई है। अंचल से यह प्रस्ताव बन कर डीएम एवं एडीएम के पास पहुंच गया है। अगर यह प्रयास कामयाब हो जाता है तो इन परिवारों के जीवन में नया सबेरा आना तय है। लगभग तीस वर्षों से इस पंचायत के बाउर, बैद्यनाथपुर, कनकी मुसहरी,भरसाहा टोला, कैथाही नवटोलिया एवं नवटोलिया गांवों के लोगों को प्रति वर्ष बाढ़ का सामना करना पड़ता है। तीन से चार महीना इन लोगों की ¨जदगी नारकीय हो जाती है। ये लोग किसी तरह एक दूसरे के मकान में रहकर ¨जदगी काटते हैं। फसलें बर्बाद हो जाती हैं। सड़कें टूट जाती हैं। जलजनित रोगों की चपेट में लोग आ जाते हैं। बच्चों का पठन पाठन बाधित हो जाता है। समय पर बाढ़ सहायता नहीं मिल पाती है। प्रशासन ने इस बार इन बाढ़ पीड़ितों को पुनर्वासित करने की योजना बनाई है। इस संबंध में घनश्यामपुर के सीओ रंभू ठाकुर ने कहा कि बुढ़ैव इनायतपुर पंचायत के वार्ड 3, 7 व 8 बाढ़ से आंशिक और वार्ड 9, 10, 11 व 12 बाढ़ से पूर्ण प्रभावित हैं। वर्ष 2017 में आई बाढ़ से 955 लोगों के घरों में पानी घुस गया था। इसी को आधार बना कर सूची बनाई गई है। इन लोगों को पुनर्वासित करने के लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। इसके लिए तकरीबन 60 से 70 एकड़ जमीन चाहिए। इस पर 500 से 600 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
तटबंध से बर्बाद हुआ बाउर गांव
बाउर गांव जिले के घनश्यामपुर प्रखंड का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित है। इस गांव ने देश को वैज्ञानिक डॉ. मानस बिहारी वर्मा दिया तो फाइटर विमान उड़ाने के लिए महिला पायलट भावना कंठ। लेकिन इस गांव को तटबंध ने बर्बाद करके रख दिया। तकरीबन 1800 परिवारों को प्रति साल तीन से चार माह बाढ़ के कारण नारकीय जीवन जीना पड़ता है। सजग एवं प्रबुद्ध ग्रामीण गुड्डू वर्मा कहते हैं कि आज से तकरीबन 30 साल पूर्व इस गांव में खुशहाली थी। हरियाली थी। बाढ़ आती थी। कुछ देकर जाती थी। अधिक उपज होती थी। जबसे कमला बलान नदी पर तटबंध का निर्माण हुआ बाढ़ प्रति वर्ष बर्बादी का इतिहास लिखकर चली जाती है। तीन से चार माह लोगों को नारकीय जीवन जीना पड़ता है। समय पर सरकारी सहायता नहीं मिलती है। तटबंध दिन प्रति दिन ऊंचा होता जा रहा है। नदी में गाद बढ़ती जा रही है। जिस कारण बाढ़ आने पर उसका दायरा बढ़ता जा रहा है। इस बार तटबंध को इतना ऊंचा कर दिया गया है कि वहां तक पहुंच पाना मुश्किल है। ट्रैक्टर को भी गांव से बांध पर ले जाने में परेशानी होती है। इसके लिए ढलान की आवश्यकता है।