मिलने लगा 'सोना', बढ़ने लगी 'उम्मीद'
दरभंगा। सूबे में सोना लूट की चर्चित घटना दरभंगा के बड़ा बाजार में हुई तो अचानक पुलिस के स
दरभंगा। सूबे में सोना लूट की चर्चित घटना दरभंगा के बड़ा बाजार में हुई तो अचानक पुलिस के सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठ गए। पुलिस ने सर्दियों में खूब पसीना बहाया। पुलिस कप्तान ने घटना के दिन से ही गंभीर कार्रवाई जारी रखी। कप्तान का ²ढ़ निश्चय काम आया। महीने भर की मेहनत के बाद आखिरी तीन दिन पुलिस ने प्वाइंट दर प्वाइंट पड़ताल की। सफेदपोश लोग शिकंजे में आए तो सोना मिलने लगा। हीरा भी। इस दौरान बदमाशों ने लूट के सोना का एक बड़ा हिस्सा बेच लिया। सोनार ने उसे गला भी दिया। लेकिन, पुलिस ने उसे भी ढूंढ निकाला। सोना बेचकर बदमाशों द्वारा रखे गए रुपये भी पुलिस को मिल गए। इसी के साथ लूटे गए व्यवसायी ही नहीं वरन समाज के लोगों में उम्मीद जगी कि अब सोना और हीरा मिलने लगा है तो फिर बाकी चांदी और भागे बदमाश भी मिल जाएंगे। लूटेरों को सबक मिल जाएगा।
'नौ' ने दिया दर्द, 'नौ' ने ही लगाया मरहम
नौ दिसंबर 2020 जिले के इतिहास में लूट का एक काला अध्याय दर्ज कर गया। उस साल का अंत हो गया। नए साल में नौ जनवरी ने लूट के काले अध्याय में सफलता का बीज बो दिया। मतलब लूट के बाद लूट का माल बरामद हो गया और नौ का अंक जिसने दर्द दिया था, उसी ने जख्मों पर मरहम भी लगा दिया। लोग-बाग अब यह कह रहे हैं एक नौ तारीख ने जाते साल को खराब कर दिया। लेकिन, नए साल की पहली नौ तारीख ने नए साल में नया जोश दे दिया। पुलिस के लिए मन में एक बार फिर से विश्वास जगा दिया। अब पुलिस की चुनौती यह कि जन सुरक्षा को लेकर चला यह अभियान लगातार चले। लूट के बाद मिली चुनौतियों को पुलिस जवाब दे। कप्तान साहेब की टीम काम को अंजाम-ए-पजीर करे नए नौ ने जो विश्वास दिया वह कायम रहे। लिट्टी-चोखा की ऐसी पार्टी में न जाइए
सिमरी के लोग बुधवार की रात सो रहे थे। इसी बीच एक आवाज हुई। धरती पर खून गिरा। पता चला सामान्य परिवार के लाल और पंचायती राज व्यवस्था के अंग एक वार्ड सदस्य गणेश साह जख्मी हैं। वो अपना बयान देकर इलाज कराने पटना चले गए। इस बीच पुलिस ने पंचायत के मुखिया जी समेत चार लोगों को जेल भेज दिया। लेकिन, वार्ड सदस्य पटना से जिदा घर नहीं लौटे उनका शव आया। इसी के साथ सवाल खड़े हुए। जब वार्ड सदस्य को लिट्टी-चोखा की पार्टी में बुलाया गया था तो फिर उन्हें गोली कैसे मार दी गई। वह भी जब गोली चली तो खून के धब्बे मिटाए गए। गोली मारने के वक्त मौके पर मौजूद लोग ही गणेश को अस्पताल ले गए। अंत में वे मर गए। ऐसे में जन की बात सुनिए- ऐसी लिट्टी-चोखा पार्टी में न जाइए।
तो नशे का था जोर और धन के लोभ में चल गई गोली
गणेश की मौत क्या हुई नशे के जोर और धन के लोभ में धोखा और खौफ का खेल खेलने की कहानी सामने आ गई। गरीबों की बस्ती में गणेश के जान से जाने का गम है। सो, लोगों में अटकलें तेज हैं। इस घटना के पीछे की कहानी बहुत कुछ कह रही। कहानी यह कि घटना के वक्त करीब आठ लोग थे। खूब पार्टी चली। लोगों ने खाया पिया। फिर मौके पर मौजूद शिक्षक पर नशे का ऐसा जोर चला कि वो शिक्षक से संवेदक बनने चल पड़े। तमंचा खोल कर दिखाने लगे और गणेश को धमकाने लगे। फिर, क्या था अचानक से संवेदक बनने की मस्ती में पिस्तौल गोली उगल गई और गणेश स्वर्ग सिधार गए। अब, शिक्षक पर चढ़ा संवेदक बनने के नशा के उतरने का है। इंतजार उनके शिकंजे में आने का है।