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ये हैं असली टॉपर: गांव की पहली मैट्रिक पास बनीं छात्राएं, मिटाया नन मैट्रिक का दाग

बिहार के दरभंगा जिले में स्थित अति पिछडा गांव गोसलावर की दो बेटियों ने गरीबी व कठिनाइयों को झेलते हुए इतिहास रचा है। गांव से नन मैट्रिक होने का दाग मिटाया।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 29 Jun 2018 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 06:27 PM (IST)
ये हैं असली टॉपर: गांव की पहली मैट्रिक पास बनीं छात्राएं, मिटाया नन मैट्रिक का दाग
ये हैं असली टॉपर: गांव की पहली मैट्रिक पास बनीं छात्राएं, मिटाया नन मैट्रिक का दाग

दरभंगा [फजले इमाम]। बिहार के दरभंगा जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित अति पिछडा गांव गोसलावर की दो बेटियों ने गरीबी व कठिनाइयों को झेलते हुए इतिहास रचा है। उनकी कामयाबी से मिथिला गौरवान्वित है। इन दो बेटियों ने इस बार मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने गांव से नन मैट्रिक होने के दाग को मिटा दिया।

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अपनी बेटियों की कामयाबी से गांव के लोग फूले नहीं समा रहे हैं। इससे बेटियों में पढऩे का अलख जगा है। इस गांव की नेहा कुमारी एवं पूजा कुमारी इस बार मैट्रिक की परीक्षा में सफल हुई है। गांव में स्कूल नहीं होने के कारण बच्चियां स्कूल जाने के लिए कुछ दूर पैदल तो कुछ दूर टेंपो का सहारा लेती थीं।

गरीब माता-पिता ने पढ़ाई के प्रति जुनून देख कर इस पर होने वाले खर्च का बीड़ा उठाया। दोनों बच्चियां गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर पैदल चलकर आनंदपुर हाई स्कूल पढऩे के लिए जाती थीं। इस गांव में न तो स्कूल है और न ही आंगनबाड़ी केंद्र।

पहली कक्षा के बच्चों को स्कूल जाने के लिए दो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इस दौरान भीड़भाड़ वाली मुख्य सड़क को भी पार करना पड़ता है। यही कारण है कि मां-बाप चाहकर भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं।

सुविधा एवं माहौल के अभाव में इस गांव के अधिकतर बच्चे पढ़ाई छोड़कर अन्य कार्य करते हैं। मां बाप न चाहकर भी अपने बच्चों के जीवन को अशिक्षा के अंधेरे में जाते हुए देखने को मजबूर हैं। गांव वालों की अपेक्षा है कि गांव में किसी भी प्रकार से एक स्कूल का संचालन आरंभ हो जाए ताकि यहां के छोटे-छोटे बच्चे शिक्षा से जुड़ जाएं।

नेहा के पिता कन्हैया सहनी एवं मां शोभा देवी अन्य बच्चों को भी पढ़ते हुए देखना चाहती हैं। वहीं पूजा कुमारी के पिता बिंदा साहनी एवं मां नलिया देवी को अब जल्द ही अपने गांव में स्कूल खुल जाने की उम्मीद जगी है।

कामयाबी पर दोनों बच्चियों को बधाई। इस गांव में स्कूल नहीं है, इसकी जानकारी आपसे मिली है। इसके लिए दैनिक जागरण को साधुवाद। जिला शिक्षा पदाधिकारी इस गांव का भ्रमण कर वस्तुस्थिति पर अपनी रपट देंगे। मेरा यह प्रयास होगा कि इस गांव में शीघ्र प्राथमिक विद्यालय की स्थापना हो जाए। वैसे हर पंचायत में हाईस्कूल खोलने की सरकार की योजना है। इस दिशा में भी काम होगा। गांव में बुनियादी सुविधा बहाल की जाएगी।

डॉ. चंद्रशेखर सिंह, जिला पदाधिकारी, दरभंगा


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