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बाढ़ व सूखा है केवटी के कई इलाकों के लिए जी का जंजाल

दरभंगा। केवटी विधानसभा की केवटी एवं सिंहवाड़ा दोनों प्रखंड क्षेत्र लगभग हर साल बाढ़ और सूखा

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 12:42 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 12:42 AM (IST)
बाढ़ व सूखा है केवटी के कई इलाकों के लिए जी का जंजाल
बाढ़ व सूखा है केवटी के कई इलाकों के लिए जी का जंजाल

दरभंगा। केवटी विधानसभा की केवटी एवं सिंहवाड़ा दोनों प्रखंड क्षेत्र लगभग हर साल बाढ़ और सूखा जैसी आपदाओं से जूझता है। अधवारा समूह की धौंस व बागमती आदि नदियों की बाढ़ से लोग हर साल तबाह होते है। जानकारों की मानें तो बाढ़ का मुख्य कारण जमींदारी व महराजी एवं उनताहा बांध की मजबूती नहीं होना है। बारिश के मौसम में बर्षा का पानी नदियों की जलस्तर में वृद्धि व उफान लाती है। जिस कारण से महराजी बांध टूट जाता है और आस-पास का इलाका तबाह हो जाता है। यहां बाढ़ के समय सहायता के नाम पर सैकड़ों हाथ जरूर उठते हैं। आश्वासनों की घुट्टी भी पिलाई जाती है । पहले से बेहतर इलाका और बेहतर जिदगी देने की बात भी दोहराई जाती है। लेकिन सच तो यह है कि बाढ़ से मुक्ति की दिशा में आज तक कोई हिम्मत हीं नहीं जुटा पाया। इस बार भी केवटी विधानसभा चुनाव के बीच बाढ़ का मुद्दा गौण है। नेताओं द्वारा कई तरह के वादे किये जा रहे हैं। सड़क , पानी , बिजली आदि पर अपने तरकश के तीर छोड़ रहे हैं। लेकिन बाढ़ के निजात पर कोई चर्चा नहीं है। चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे एक से बढ़कर एक सूरमा मतदाताओं को लुभाने के लिए तरकश से तीर निकाल रहे हैं। विरोधियों को नाकाम अथवा कमतर साबित करने का कोई मौका भी नहीं चूक रहे। पूरी तस्वीर से अगर कोई गायब है तो वह है सबसे बड़ा मुद्दा - बाढ़ से निदान। बाढ़ से त्रस्त दोनों प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों पंचायतों के हजारों लोगों का जीवन हर बाढ़ से बेपटरी होता है। जब तक संभलने की कोशिश करते हैं, बाढ़ फिर कमर तोड़ देती है। इनका बना आशियाना उजड़ जाता है । कच्चे मकान भी धराशायी हो जाते हैं। खेतों में लगी फसल डूब जाते है।करोड़ों के वारे -न्यारे होते है। फोटो खिचवाने का दौर शुरू होता है और बिचौलिए हावी हो जाते हैं। बाढ़ जैसी अभिशाप के बीच सहायता राशि जनप्रतिनिधियों के लिए वरदान साबित होती है । पिछले तमाम चुनावों की तरह एक बार फिर वायदों की लंबी फेहरिस्त के साथ चुनावी मैदान में नेता खड़े है। लेकिन बाढ़ के पुख्ता समाधान की गारंटी किसी के पास नहीं है।

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लोगों का यह है कहना :

---------------------------- '''' प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती हैं। लेकिन इसका स्थायी निदान के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा हैं । राहत राशि पर जो खर्च होता हैं उससे ज्यादा खर्च स्थायी निदान में नहीं होगा । बांध की मजबूतीकरण के साथ - साथ बाढ़ का स्थायी निदान किया जाए ''''। पंजित झा, ग्रामीण, पिडारूच '''' गोपालपुर में बागमति नदी का जमींदारी पिछले कई बर्षो से टूटते आ रही है । बांध की टूटने से प्रत्येक वर्ष पिडारूच पंचायत सहित केवटी व सिंहवारा प्रखंड की दर्जनों पंचायत प्रभावित होती आयी है। बाढ़ के बाद लाखों की योजना बनायी जाती है , लेकिन धरातल पर लीपापोती कर ग्रामीणों को छोड़ दिया जाता है। बांध की मजबूतीकरण को लेकर कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया । लेकिन इस दिशा में अब तक कोई प्रयास नही की गई है''''।

विजय महराज , ग्रामीण, पिडारूच '''' बाढ़ से लोग हर साल तबाह होते है। बाढ़ के कारण हजारों परिवार विस्थापित होते है। करोड़ों की फसलें बर्बाद हो जाती है। बाढ़ की स्थायी निदान के लिए अधिकारियों से लेकर

जनप्रतिनिधियों तक का ध्यान कई बार ग्रामीणों द्वारा आकृष्ट कराया गया । बावजूद इसके इस दिशा में अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया '''' । तरूण चौधरी, ग्रामीण, पिडारूच

'''' जनहित में बाढ़ का स्थायी निदान व गोपालपुर रेलवे लाइन से पिडारूच श्मशान स्थल तक एवं पिडारूच पूर्वी भाग के वार्ड संख्या पांच ( उनताहा बांध ) के समीप सुरक्षात्मक दीवार का निर्माण किया जाए '''' । नवजोत झा, ग्रामीण, पिडारूच विधानसभा - केवटी कुल मतदाता : 283439

पुरुष मतदाता : 151555

महिला मतदाता : 131873

थर्ड जेंडर मतदाता : 11

मतदान केंद्र 413


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