अब तक पूरा नहीं हो सका कॉर्नियां प्रत्यारोपण का सपना
दरभंगा । डीएमसीएच में अभी तक आई बैंक के नहीं खुलने से अंधापन दूर करने के लिए मिथिलांचल के लोगों को दूसरे प्रदेशों का चक्कर काटना पड़ रहा है।
दरभंगा । डीएमसीएच में अभी तक आई बैंक के नहीं खुलने से अंधापन दूर करने के लिए मिथिलांचल के लोगों को दूसरे प्रदेशों का चक्कर काटना पड़ रहा है। इससे दरभंगा में ही कॉर्नियां प्रत्यारोपण का मरीजों का सपना अभी तक पूरा नहीं हो सका है। डीएमसीएच में दो अक्टूबर 2018 से ही आइ बैंक की शुरुआत होनी थी। इसके एक वर्ष बाद भी इसकी शुरुआत के आसार नहीं नहीं आ रहे हैं। इस कारण लाखों के उपकरण धूल फांक रहे हैं और नवनिर्मित भवन के छत का हिस्सा टूटकर गिरने लगा है। भवन के खस्ताहाल के कारण आइ बैंक की स्थापना में और समय लग सकता है। बता दें कि आइ बैंक खोलने के लिए अब तक लाइसेंस नहीं लिया गया है। लाइसेंस के अनुरूप वह मानक पूरा करता है या नहीं, इसके निरीक्षण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। टीम में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ.तपेश्वर प्रसाद, एसपीओ (अंधापन) डॉ.हरिशचंद्र ओझा और आइजीआइएमएस, पटना के नेत्र विभाग के अपर प्राध्यापक डॉ.निलेश मोहन को शामिल किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने गठित टीम को अविलंब आइ बैंक का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
कॉर्नियां की उपलब्धतता बन सकती है बाधक : डीएमसीएच में आइ बैंक की शुरुआत के बाद कॉर्नियां उपलब्ध करने की समस्या बाधक बन सकती है। आइ बैंक में कॉर्नियां उपलब्ध कराने के लिए आइ डोनेशन पर निर्भर रहना पड़ेगा। साथ ही आइ डोनेशन के लिए स्वीकृति प्रदान करने वालों की मृत्यु होने पर कॉर्नियां को सुरिक्षत आइ बैंक तक लाने के लिए उपकरणों से लैश एंबुलेंस की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए एंबुलेंस की व्यवस्था अभी तक नहीं हो सकी है। डीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने कहा कि फिलहाल भवन का क्षतिग्रस्त हो जाना चिता का कारण बन गया है। इसकी सूचना बीएसआइएमसीएल को दी जा चुकी है। आइ बैंक को जल्द चालू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग आवश्यक कदम उठा रहा है।